लेखक – गरिमा दुबे
पूरे वर्ष भर बाद एक आयोजन जिसने सबमें ऊर्जा का संचार हुआ और युवाओं की उपस्थिति ने उसमें चार चाँद लगा दिए, मेरे निजी वक्तव्य में अगर मैं कहूँ कि यह लिट फेस्ट किन मायनों में अलग रहा तो दो बातें जो प्रमुखता से रेखांकित की जाने लायक हैं, वह यह कि बहुत मुखरता से भारत और भारतीयता की बात यहाँ हुई, बदलते भारत और इतिहास की विडंबना पर बात हुई, भूले हुए भारतीय गौरव का आह्वां हुआ, सबसे बड़ी बात बौद्धिक आतंकवाद से यह लिट फेस्ट मुक्त था जहाँ कोई रोमांटीसाइज़ कर देने वाली, यथार्थ को नज़र अंदाज़ कर भ्रम में रहने की बात नहीं थी सीधी बात थी, सहज सरल किसी बोझिल, प्रायोजित विमर्श से हटकर भारत की बात थी और बहुत मुखरता से रखी गई। Jyoti Jain भाभी की पुस्तक का विमोचन भी गरिमामय ढंग से संपन्न हुआ। उससे भी बड़ी बात इस बार का लिट फेस्ट युवाओं के लिए जाना जायेगा, देश के वे सब युवा जिनका प्रभाव है, जिनके पास कहने का सलीका है और युवाओं को जोड़ने की ताकत है वे सब इस लिट फेस्ट में थे , Nilotpal Mrinal Neelesh Misra , Amish Tripathi, Satya Vyas , Shailesh Bharatwasi Manisha Kulshreshtha जी पीयूष मिश्रा, सबके सत्र बहुत प्रभावी थे, वैचारिक ऊर्जा वाले सत्र श्री Vijay Manohar Tiwari जी का सत्र, श्री उदय माहुरकर सा और हिंडोन सेनगुप्त के सत्र, नई कहानी, युवा लेखकों के सपने संघर्ष और सफलता के सत्र सभी प्रेरणा दाई थे, सबसे बड़ी बात किसी को हतोउत्साहित न करते हुए कोई बड़े शिखर की बात न करते हुए सफलता को अपनी ज़द में प्राप्त करने के संदेश से भरे हुए लिट फेस्ट में 13 वर्ष की नन्ही लेखिका व 20 22 वर्ष के युवा लेखकों के गंभीर विचार सुन मन में एक आस बंधी कि साहित्य ज़िंदा रहेगा, बदले रूप में ही सही युवा उससे जुड़ते रहेंगें, बदलाव को स्वीकार करके उससे कैसे संवेदनाओं को छूआ जाता है।
यह Neelesh Misra के मंत्र मुग्ध कर देने वाले सत्रों में देखने को मिला, उन्हें केवल कहानियों के लिए याद रखा जाना उनके साथ अन्याय होगा, वे बहुत धीरे से इतिहास बना रहे हैं, disillusioned युवा पीढी में वे रिश्तों, संवेदनाओं को जगा रहें हैं, यह अपने आप में बड़ी बात है।
Nilotpal Mrinal की ऊर्जा और जोश देखना सुखद होता है हमेशा। अतिथि युवा लेखकों से इन सबसे मिलकर लगा कि वे इस सफलता के हकदार हैं, वे इतने योग्य हैं कि उनसे कदम ताल करने के लिए न सिर्फ आपको बहुत मेहनत करनी होगी बल्कि बुद्धि के अतिरेक और अहंकार की टोकरी, को सर से उतार कर उन्हें देखना होगा, जजमेंटल होकर आप केवल उनकी प्रतिभा से अन्याय नहीं करेंगें बल्कि देश के युवाओं की आवाज़ को अनदेखा करेंगें, जो साहित्य, समाज और राजनीति की किसी भी विचारधारा के लिए अच्छा नहीं होगा, वे बहुत पढ़ रहें हैं, नया गढ़ रहें हैं केवल पुरानी कसौटियों पर उन्हें तौलना गलत होगा, युवाओं को सुनना होगा, सुना जाना चाहिए और उन्हें उनके हिस्से का सम्मान दिया जाना चाहिए। इंदौर शहर के विचार प्रवाह मंच, सुषमा दुबे व साथी, हमारे वामा साहित्य मंच से Smriti Aditya , Babita Kadakia , Nidhi Jain ,सहित मेरी प्रतिभावान दोस्तों और लेखिका संघ के सत्र भी बहुत स्तरीय रहे। कविता पाठ में इंदौर के वरिष्ठ कवियों के सरोज कुमार सर Ashutosh M M सर, Roshni Verma , Ravindra Vyas का सत्र रहा।