जीवन गीत

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गहन अंधकार
मुझे निगलने के लिए
मेरी तरफ बढ़ रहा था
मैंने एक दिप रख दिया
उसके सामने

वो कड़कती
आवाज़ में खंजर
लहराते मुझसे बोला
जो कुछ है निकाल कर
रख दे फ़क़ीर
मैंने ,दुआएँ, क्षमा
शुभेच्छाएँ निकाल कर
रख दी
उसके सामने ।

वो बेहद डरा सहमा
निराशा से घिरा
मदद की गुहार करता
आया मेरे पास
मैंने ,आशा ,विश्वास ,साहस
निकाल कर रख दिये
उसके सामने ।

मैं जानता हूँ
तुम सत्य ,अटल हो
परंतु तुम्हे असमय
नही आने दूंगा ।
मैं जीवन गीत गाने लगा
उसके सामने ।

धैर्यशील येवले इंदौर