अमेरिका में इस समय राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस आमने-सामने हैं। हालांकि चुनाव के परिणाम से ही यह तय होगा कि अगला राष्ट्रपति कौन बनेगा, लेकिन अमेरिका के नए राष्ट्रपति को एक कठिन कार्यकाल का सामना करना पड़ेगा।
अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर मंडराते संकट
अमेरिकी अर्थव्यवस्था वर्तमान में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। देश की स्थिति को लेकर विशेषज्ञों की राय बंटी हुई है। कुछ का मानना है कि अमेरिका पहले से ही मंदी का शिकार है, जबकि अन्य की राय है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जल्द ही मंदी में जा सकती है।
कंपनियों की दिवालिया होने की स्थिति
अमेरिका को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा प्राप्त है और वहां की प्रमुख कंपनियों का महत्वपूर्ण स्थान है। लेकिन पिछले 8 महीनों में, 452 बड़ी कंपनियां दिवालिया हो चुकी हैं, जो पिछले 14 वर्षों में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है। 2020 में महामारी के दौरान 466 कंपनियां दिवालिया हुई थीं। इस साल अगस्त में 63 कंपनियों ने दिवालिया घोषित किया, जबकि जुलाई में यह संख्या 49 थी।
प्रभावित क्षेत्र
उपभोक्ता विवेकाधीन क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां 69 प्रमुख कंपनियां बंद हो गई हैं। इसके बाद औद्योगिक क्षेत्र की 53 और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की 45 कंपनियां दिवालिया हो गई हैं। आर्थिक गतिविधियों में मंदी, बढ़ती बेरोजगारी, और घटते उपभोक्ता खर्च के कारण अमेरिकी अर्थव्यवस्था मंदी की ओर बढ़ रही है, जिससे भविष्य में और कंपनियों के दिवालिया होने की संभावना है।
अमेरिका ने वित्तीय संकट से निपटने के लिए कई प्रयास किए हैं। 2008 के वित्तीय संकट के बाद, 2010 में 827 कंपनियां दिवालिया हो गई थीं। इसके बाद के वर्षों में भी कंपनी के दिवालिया होने की संख्या में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जैसे कि 2020 में महामारी के दौरान 638 कंपनियां दिवालिया हो गईं और 2023 में 634 कंपनियां दिवालिया हुईं। कंपनियों के दिवालिया होने से रोजगार में कमी आती है और आर्थिक स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो अंततः अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाता है।