इंदौर में हुए अंतर्राष्ट्रीय महिला साहित्य समागम  में महिला लेखन को लेकर हुआ सारगर्भित विचार-विमर्श  

Suruchi
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इंदौर के प्रसिद्ध न्यूज़ पोर्टल घमासान डॉट कॉम द्वारा 14 तथा 15 मई 2022 को इंदौर के अभय प्रशाल में अंतर्राष्ट्रीय महिला साहित्य समागम का आयोजन किया गया इस कार्यक्रम में सहभागिता निभाई वामा साहित्य मंच इंदौर ने । इस सम्मेलन की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि इसमें देश-विदेश कि अधिक लेखिकाओं ने भाग लिया जिनमें डॉक्टर सूर्यबाला मुंबई, राजकुमारी गौतम बेल्जियम, शार्दुल नोगजा सिंगापुर ,प्रतिभा कटियार देहरादून, क्षमा कोल जम्मू कश्मीर ,समीक्षा तेलंग पुणे, कोपल जैन बेंगलुरु, कांता राय भोपाल ,निर्मला भुराडिया इंदौर, डॉ अंजलि चिंतामणि मॉरीशस, रीना मेनारिया उदयपुर, डॉ नूतन पांडेय नई दिल्ली, श्वेता दीप्ति नेपाल, डॉ दीपक पांडेय नई दिल्ली, डॉ रामा तक्षक नीदरलैंड, डॉ राजेंद्र प्रसाद मिश्र वर्धा,  अनुपमा जैन मुंबई के साथ ही अनेक लेखिकाओं ने अपनी भागीदारी निभाई।

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अंतर्राष्ट्रीय महिला साहित्य समागम में जो विषय रखे गए वे बेहद समकालीन और सारगर्भित थे उनमें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार में तकनीकी भूमिका, प्रवासी और मुख्यधारा साहित्य के मध्य मैत्री सेतु ,लघु कथा सत्र, अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की स्थापना ,वैश्विक अपेक्षाएं तथा वर्तमान स्थिति, डॉ नूतन पांडे सहायक निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली द्वारा मार्गदर्शन, स्त्री अस्मिता अदम्य जिजीविषा का संघर्ष और महिला लेखन ,अपरिचित विषय तथा विधा और स्त्री लेखन, भारतीय संस्कृति का बदलता स्वरूप और भाषा की शुचिता, स्त्री लेखन पुरुषों की दृष्टि से और इसके अलावा समापन सत्र में डॉ नूतन पांडेय सहायक निदेशक केंद्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली द्वारा अनेक उपयोगी जानकारियां दी गई ।

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घमासान डॉट कॉम के संपादक राजेश राठौर इस कार्यक्रम के मुख्य आयोजक थे । वामा साहित्य मंच की पदमा राजेंद्र तथा ज्योति जैन की भूमिका महत्वपूर्ण रही उनकी पूरी टीम तथा इंदौर की लेखिकाओं ने इस कार्यक्रम को सफल बनाया ।

इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में

प्रसिद्ध लेखिका डॉ सूर्यबाला ने कहा कि महिला लेखन को पहले दोयम दर्जे का समझा जाता था लेकिन धीरे-धीरे महिला लेखन ने खुद अपनी जमीन तैयार की है और साहित्य के क्षेत्र में गहरी पैठ बनाई है आज हम बेहद दुर्दांत समय के दौर से गुजर रहे हैं और इसी को हमें साहित्य का विषय बनाना है आज सब दूर साहित्य का बाजार खुल गया है और डिमांड तथा सप्लाई का खेल चल रहा है आपको सब कुछ लिखने के लिए कहा जा रहा है लेकिन सवाल इस बात का है कि हम सब कुछ क्यों लिखें?

बेल्जियम से पधारी साहित्यकार डॉ राजकुमारी गौतम ने कहा कि भारत जापान एवं यूरोपीय संघ में भारतीय भाषाएं संस्कृति के प्रचार प्रसार तथा शोध में सहयोग देने का कार्य कर रही है उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को आज भी नोबेल पुरस्कार का इंतजार है । बेल्जियम से पधारे डॉ गौतम ने कहा कि इंदौर आकर इस आयोजन की भव्यता को देखकर बेहद प्रभावित हुआ और ऐसा लगता है कि एक दिन यह कार्यक्रम बहुत बड़ा रूप ले लेगा।

सिंगापुर से आई प्रसिद्ध लेखिका शार्दुला नोगजा ने कहा कि प्रवासी साहित्यकार जब भारत के बारे में लिखते हैं तो क्या सचमुच में भारत के संघर्षों को व्यक्त करते हैं उनका कहां की भारत में रहने वाले बहुत कम ऐसे लोग हैं जिन्होंने प्रवासी साहित्यकारों की किताबें पढ़ी है जबकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रवासी साहित्य पढ़ना चाहिए तभी प्रवासी साहित्य मुख्यधारा में शामिल हो पाएगा ।

प्रसिद्ध आलोचक राजेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा  कि कृष्णा सोबती से लेकर अमृता प्रीतम तक और उसके बाद अनेक लेखिकाओं ने अपने लेखन के माध्यम से लेखन को स्थापित किया है। स्त्री लेखन की पराकाष्ठा यह है कि नोबेल पुरस्कार अब तक 16 महिलाओं को मिल गया है दिल्ली की लेखिका डॉ नूतन पांडेय ने कहा कि आज की महिलाएं बहुत तेजी से आगे बढ़ रही हैं आज महिलाएं लिख रही हैं लेकिन उन्हें अपने दायरे से ऊपर उठकर लिखना होगा जो कुछ अच्छा लिखा जा रहा है उसकी सराहना की जानी चाहिए।

नीदरलैंड के लेखक डॉ राम तक्षक ने कहा कि महिलाओं को जीवन से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर लिखना चाहिए और उनका कहा कि यूक्रेन युद्ध में महिलाओं और बच्चों की जो दुर्दशा हुई है वास्तव में बहुत शर्मनाक है ।

केंद्रीय हिंदी निदेशालय के सहायक निदेशक तथा वरिष्ठ लेखक डॉक्टर दीपक पांडेय ने कहा कि लेखन को दो धाराओं में नहीं बांटना चाहिए हमें यह भी देखना होगा कि आज का साहित्य कितना प्रासंगिक और उपयोगी है स्त्री लेखन के बारे में उन्होंने कहा कि साहित्य की समृद्ध परंपरा में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है और आज के समय में हम महिला लेखन को अनदेखा नहीं कर सकते ।


लेखिका जया  सरकार ने कहा कि स्त्री की अस्मिता को समझने के लिए हमें उन पात्रों को भी देखना होगा जिन्होंने संघर्ष का जीवन जिया है उन्होंने कहा कि स्त्री लेखन को किसी की दया  की आवश्यकता नहीं है इस मौके पर उन्होंने स्त्री के अस्तित्व और उस पर उठते सवालों को भी रेखांकित किया।


लेखिका मनीषा कुलश्रेष्ठ ने कहा कि अब हमें दायरों की जरूरत नहीं है स्त्री विमर्श और पुरुष विमर्श जैसी विभाजन रेखा को तोड़ना होगा उन्होंने कहा कि बचपन में हमें दायरों में रहना सिखाया जाता था लेकिन मेरा यह कहना है कि स्त्री लेखन किसी का भी मोहताज नहीं है ।

जम्मू कश्मीर की प्रसिद्ध लेखिका क्षमा कौल ने कहा कि उन्होंने कश्मीर में दमन और अत्याचार का माहौल देखा है उन्होंने कश्मीरी पंडितों के दर्द को बताते हुए कहा कि एक बार  नागार्जुन की उनके  साथ कश्मीर गए थे जहां वे 1 महीने रहे और उन्होंने इस बात को महसूस किया था कि यहां पर जो कुछ हो रहा है वह बहुत गलत है ।


महिला ब्लागर कोपल जैन ने कहा कि महिलाओं का अकेला ट्रेवल करना वाकई एक रोमांचक अनुभव है उन्होंने कहा कि यात्रा के माध्यम से अलग-अलग देशों की संस्कृति को जानने का मौका मिलता है ।


व्यंग्य लेखिका समीक्षा तेलंग ने कहा कि किसी भी विषय को देखने के लिए दृष्टि चाहिए इसके बाद तो लेखन बहुत आसान हो जाता है । भोपाल की लेखिका कांता राय ने कहा कि समाज में एकल परिवार बढ़ते जा रहे हैं इसके कारण भी बहुत सारी परेशानियां आ रही है बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में रखा जा रहा है इसकी विसंगतियां भी हमें देखने को मिलती है।

इंदौर की प्रसिद्ध लेखिका निर्मला भुराडिया ने कहा कि लघु कथाओं के माध्यम से हमारी सामाजिक जीवन की विसंगतियों को व्यक्त किया जा रहा है और यह एक सशक्त माध्यम भी बन गया है ।


जयपुर से आई लेखिका रीना मेनारिया ने कहा कि हिंदी को सम्मान देना जरूरी है घर के बच्चों से भी हमें हिंदी में ही बात करनी चाहिए।


दिल्ली लेखिका तथा सहायक निदेशक डॉ नूतन पांडेय ने कहा कि हिंदी की सारी बोलियां यदि मिला दी जाए तो हिंदी को विश्व की एक नंबर की बोली माना जा सकता है उन्होंने कहा कि आज हिंदी को विश्व स्तर पर स्वीकार कर लिया गया है और इसकी लोकप्रियता में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है हिंदी को सीखने केलिए विश्व के कई देश केन्द्र चला रहे हैं और हिंदी सीखने के कारण रोजगार के अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं ।


नेपाल से आई डॉक्टर श्वेता दीप्ति ने कहा कि नेटफ्लिक्स का कल्चर हमारी संस्कृति और देश दोनों को बर्बाद कर रहा है  आज के बच्चे जितनी आसानी गाली सीख रहे हैं वह सब इसी कल्चर की देन है ।

प्रसिद्ध लेखिका प्रतिभा कटियार ने कहा कि आज का दौर ऐसा है जिसमें सभी स्त्रियां प्रवासी हो गई है और यहां तक कि मजदूर भी प्रवासी है लेकिन इसके बावजूद जो बाहर के देशों में रह रहे हैं और लिख रहे हैं वे भारतीय संस्कृति के साथ-साथ उन देशों की संस्कृति से भी जुड़ गए हैं यही वजह है कि उनके लेखन में विविधता झलकती  है घमासान डॉट कॉम द्वारा पिछले 4 वर्षों से लगातार यह आयोजन किया जा रहा है ।