देश की राजधानी दिल्ली के नगर निगम चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आज गुरुवार को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। अगले हफ्ते तक का जवाब दाखिल करने का समय दिया है। इस मामले की सुनवाई अगली 5 अगस्त को करेंगी। आप ने अपनी याचिका में केंद्र सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग और एमसीडी को प्रतिवादी बनाया है।
आप पार्टी की ओर से लगाई गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीते बुधवार को केंद्र सरकार, दिल्ली नगर निगम और दिल्ली चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह राष्ट्रीय राजधानी में वार्ड परिसीमन के आधार पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के चुनाव स्थगित किए जाने को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी की याचिका पर 28 जुलाई को सुनवाई करेगा।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी, क्योंकि केंद्र ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उपलब्ध नहीं होने के कारण मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया था। बेंच ने कहा कि मामले पर गुरुवार को सुनवाई की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को याचिकाकर्ता को प्रतिवादियों के वकीलों को याचिका की प्रति पहले ही उपलब्ध कराने की छूट दे दी थी। आप ने याचिका में केंद्र सरकार, राज्य निर्वाचन आयोग और एमसीडी को प्रतिवादी बनाया है। इस महीने की शुरुआत में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी की अगुवाई में भारत सरकार पर आरोप लगाया कि वह बल और गुंडागर्दी का इस्तेमाल करके दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का चुनाव कराने की अनुमति नहीं दे रही है।
सीएम केजरीवाल ने कहा कि आम आदमी पार्टी समय पर चुनाव कराने के लिए अदालत जाएगी। मॉनसून सत्र के दूसरे दिन दिल्ली विधानसभा में केजरीवाल ने दावा किया कि ऐसी चर्चा है कि दिल्ली को पूर्ण केंद्र शासित प्रदेश में बदला जा सकता है और फिर चुनाव नहीं होंगे।
दिल्ली की तीनों नगर निकाय हुए एक साथ
इससे पहले 22 मई को दिल्ली नगर निगम (संशोधन) अधिनियम, 2022 के जरिए तीनों नगर निकायों को एक एमसीडी में मिला दिया गया था। तीन नगर निकायों को एकजुट करने के लिए एक विधेयक को 30 मार्च को लोकसभा और पांच अप्रैल को राज्यसभा द्वारा अनुमोदित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा 18 अप्रैल को अपनी सहमति देने के बाद विधेयक एक अधिनियम बन गया।
अधिनियम ने राष्ट्रीय राजधानी में वार्ड की संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी, जिसका अर्थ है कि चुनाव से पहले एमसीडी को परिसीमन की प्रक्रिया से गुजरना होगा। वार्ड का सीमांकन करने के लिए केंद्र को एक परिसीमन आयोग का गठन करना था, जो अभी तक नहीं हुआ।