एक राजनैतिक संत नरेन्द्र मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस पर उन्हें समर्पित लेख

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विनीता धर्म। भारत के स्वर्णिम इतिहास को अनेक तिथियों ने गौरावंवित किया है। इन अनेक तिथियों में से दो तिथियां आधुनिक भारत के निर्माण में नींव का पत्थर सिद्ध होगी। ये तिथियां है 17 सितम्बर 1950 एवं 26 मई 2014 है। इस धरा को संतों ने, बलिदानियों ने, शहीदों ने कांतिकारियों ने अपने संस्कारों से संचित कर पवित्र किया है। सभी संतों एवं महापुरूषों की त्याग-तपस्या के कारण भारत विश्वगुरू रहा है, लेकिन बीते कुछ दशकों में हम हमारे देश की गौरवमयी संस्कृति को भूल चुके थे।
आज दशकों पश्चात पुनः एक विवेकानंद ने देश को प्राप्त हुआ है। जिसने चैरेवेति-चैरेवेति का मंत्र आत्मसात करते हुए ’’उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत’’ करते हुए 130 करोड देशवासियों से मन की बात करते हुए परिवार भाव का शुभारंभ किया। मैं नरेन्द्र दामोदर मोदी शपथ लेता हूं कि यह मात्र एक संवैधानिक पद की शपथ नहीं थी। अपितु संवैधानिक भवन में प्रवेश के पूर्व नतमस्तक होना अभिमान रहित राष्ट्र के प्रति कृत संकल्पीत प्रवेश था। सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते हुए राष्ट्रप्रतिज्ञा का मानों एक-एक कदम अपने उद्देश्य की ओर आगे बढ़ रहा है। इस दृश्य को मस्तिष्क पटल पर अंकित करने वाला प्रत्येक भारतवासी आश्चर्य मिश्रित सुखद अनुभूति को महसूस कर रहा था। साथ ही सारा विश्वास सात दशक के कालखंड के पश्चात भारत में एक दैदिव्यमान उचित होते नवसूर्य को देखकर अचंभित था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं को प्रधानसेवक तथा एक प्रहरी के रूप में स्थापित करने के लिये सूर्योदय से सूर्यास्त तक बीना रूके, बीना झुके कार्यरत है। मोदीजी का बाल्यकाल संघर्ष भरा रहा । ऐसे संघर्ष भरे दौर में अपने जीवनपथ पर मां का आशीर्वाद लिए आगे बढ़ते रहे, जीवन में प्रत्येक व्यक्ति का विपरित परिस्थितियां से दो-चार होना ही पड़ता है-’’यही सीख लेकर व आगे बढ़ते रहे।

इसकी यह कार्ययात्रा अविरत जारी है। मोदीजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गौर करे तो पाटेंगे कि शायद की कोई ऐसी विधा या क्षेत्र हो जो अनछूआ रहा हो। आध्यात्म, संगीत, वाद्य, साहित्य, विदेशी, नीति, संवादशैली अध्ययनशीतला इत्यादि बानगी स्वरूप ही है।

मोदीजी की पैनी दृष्टि से कोई अनदेखा नहीं रह सकता बर्शे वह देशवासी भी उतना ही क्रियाशील हो। देश के दूरवती क्षेत्र में मात्र तन ढकने के लिये पर्याप्त वस्त्रों में लिपटी स्त्री को पद्म सम्मान देकर मातृ वंदना योजना के रूप में मातृशक्ति को सम्मानित किया। उन्हेंं प्रगति की राह दिखाई तो देश के लिये स्वर्ण जीतकर लाने वाले खिलाड़ियों को उज्वल भविष्य का शुभकामनाएं देते हुए अपना अमूल्य समय अनेक साथ बिताया। दुरवर्ती पहाड़ी क्षेत्र में 35 हजार से अधिक वृक्ष लगाने वाले देशबंधु से सीधे संवाद स्थापित कर प्रमाणित कर दिया कि चौकीदार जाग रहा है। दीपावली का महत्वपूर्ण त्यौहार सैनिक भाईयों के साथ मनाते हुए परिवार का मुखिया सुख-दुख में आपके साथ खड़ा है कि भावना ने कितने ही देशवासियों को आंखों में स्वाभिमान के आंसू ला दिये

तरूणाई को ‘‘मेक द राईट च्वाईस का मंत्र देते हुए सही गलत का निर्णय लेने का आत्मविश्वास देने वाला प्रधानसेवक परीक्षा एवं परिणामों की निराश भरे वातावरण में छात्रों से सीधे संवाद भी स्थापित करने में आगे रहा। साथ ही धूवे में भोजन पकाते हुए गिरते स्वास्थ्य की चिंता करते हुए के जीवन में उज्जवला योजना से प्रकाशित किया। अब बेटी बोझ नहीं वह दो परिवारों की ध्ूरी है। इसे बचाना होगा, बढ़ाना होगा और यह तब ही संभव है जब बेटी पढ़ेगी। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए बेटी बचाओं-बेटी पढ़ाओं योजना द्वारा तक लाड़ली को लक्ष्मी का दर्जा प्रदान किया। देश के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के अपनी छत के सपने को साकार करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से करोड़ों परिवारों का गृह प्रवेश सम्पन्न हुआ।

देश की थल सेना के शौर्य के समय (सर्जीकल स्टाईक) सेना के जवानों के साथ खड़े रहे तो आसमान में नभसेना में राफेल फाइटर जहाजों का जिम्मा शिवांगीसिंह, आंचल गंगवाल के हाथों में सौंपकर महिलाओं को उड़ान भरने के लिये पंखों को ऊर्जा दी। समुद्री सीमाओं को विक्रांत का क्रांतिकारी प्रवेश राष्ट्र को सभी क्षेत्रो से सुरक्षित कर देशवासियों को भयमुक्त वातावरण दिया। साथ ही अभिनंदन का वंदन समस्त देशवासियों के प्रतिनिधि बनकर धैर्य और साहस का भाव मोदीजी में परिलक्षित होता है।

देश का यह प्रधानसेवक आयुष्मान योजना लाकर अपने देशवासियों को बिमारियों के भय और व्यय से सुरक्षा प्रदान करता है तो अन्नदान योजना के द्वारा कोरोना के संकटकाल में छःमाह से अधिक समय का खाद्यान्न देकर चिंतामुक्त किया। वैश्विक महामारी में जहां अधिक हम विदेशी दवाओं पर निर्भर थे। अब मोदीजी की अगुवाई में आत्मनिर्भर बने। अपनी ही देश में वैक्सीन बनाकर पूरे देश की जनता का निशुल्क टीकाकरण किया। जिससे पूरे विश्व में अपने देश के वैज्ञानिकी एवं अनुसंधान क्षमता को सिद्ध किया। अंतरिक्ष में प्रक्षेपण असफल होने पर वैज्ञानिकों के साथ खड़े रहे। असफलता ही सफलता की सीढ़ी है कहते हुए अगले पड़ाव के प्रति विश्वास व्यक्त किया तो मंगलयान के रूप में सिद्ध हुआ।


ऐसे हमारे महानायक में पर्यावरण के प्रति संवेदना रखते हुए ग्लासगो जलवायु-सम्मेलन में भारत को 2070 तक कार्बन उत्सर्जन के क्षेत्र में शून्य प्रतिशत का लक्ष्य रखा। तेरा तुझको अपेण क्या लोग मेरा के भाव से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अंत्योदय योजना एवं गांधीजी के स्वदेशी संकल्प को प्रधानमंत्री श्री मोदीजी पूर्ण कर रहे है। नरेन्द्र मोदी नवभारत के शिल्पकार है उनके रूप मेंं देश को सशक्त, सुदृढ, संकल्पित, संस्कारी नेतृत्व प्राप्त हुआ। राष्ट्र सर्वोपरि, अर्थात देश से है प्यार तो हर पल से रहना चाहिए की भावना लिये कार्य करने वाला व्यक्ति कभी अकेला नहीं होता है। हमेशा टोन(प्लसवन) होता है। यह टोन अदृश्य ईश्वरीय शक्ति है जो किसी न किसी रूप में आपकी सकारात्मक उर्जा को दुगुना करती है।

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देश की आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश के दूरवर्ती क्षेत्रों तक हर घर तिरंगा के द्वारा राष्ट्रप्रेम जागृत करने वाले हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को उनके जन्मदिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित करने हुए हर देशवासी गर्व का अनुभव करता है।