कोरोना के ओमिक्रॉन (omicron) वैरिएंट को लेकर काफी दशहत फैली हुई है। साथ ही अब ये आशंका जताई जा रही है कि कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट भारत में भी पहुंचने वाला है। इस बीच, भारत में कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ एन के अरोड़ा का कहना है कि 18 साल की उम्र से नीचे 44 करोड़ बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने की योजना जल्द ही देश के सामने रखी जाएगी। इसी दौरान आगे उन्होंने कहां कि प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन दिए जाने की प्रक्रिया पर काम किया जा रहा है। जिससे कॉमरेडिडिटी वाले बच्चों को कोरोना वैक्सीन लगाई जा सके।
वहीं डॉ. अरोड़ा का यह भी कहना है कि उसके बाद स्वास्थ्य बच्चों को भी कोरोना का टीका लगाया जाएगा। हालांकि, मंगलवार को सरकार ने राज्यसभा में बताया कि 2-18 आयु वर्ग के लोगों के लिए ये भारत बायोटेक की कोवैक्सिन अभी प्रक्रिया में है। एक्सपर्ट्स कमेटी ने इसके इमरजेंसी यूज की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए अतिरिक्त जानकारी मांगी है। वहीं जानकारी के लिए बता दें बीमार बच्चों को दिसंबर में और स्वस्थ को अगली तिमाही में टीका लगेगा। इसके अलावा अरोड़ा ने एक चैनल को कहा था कि बीमारी के शिकार बच्चों के लिए वैक्सीनेशन दिसंबर में शुरू हो सकता है। जबकि स्वस्थ बच्चों का कोरोना वैक्सीनेशन अगले साल की पहली तिमाही में हो सकता है।
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वहीं अरोड़ा का कहना यह भी था कि हम प्राथमिकता के आधार पर बच्चों का टीकाकरण शुरू करेंगे। जब बीमारियों के शिकार बच्चों में टीकाकरण 10-15% तक पहुंच जाएगा, तब हम स्वस्थ बच्चों का वैक्सीनेशन भी शुरू कर देंगे। इसके अलावा पूनावाला ने कहा, अगले 6 महीनों में बच्चों की वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि बच्चों के लिए वैक्सीन तैयार करने का काम भी तेजी से चल रहा है। साथ ही पूनावाला ने यह भी स्पष्ट किया कि यह कोवीशील्ड नहीं बल्कि कोवावैक्स होगी।
इसके अलावा पूनावाला ने आगे कहा कि कोवावैक्स अगले छह महीनों में उपलब्ध होगी। इसके लिए ट्रायल चल रहे हैं। वहीं अभी तक कोई सुरक्षा संबंधी मुद्दा सामने नहीं आया है। जानकारी के लिए बता दें कि सात साल तक की उम्र के बच्चों को भी ये वैक्सीन दी गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों को वैक्सीन देने की इस मुहिम में हमारा मकसद कम से कम दो साल तक के बच्चे के लिए टीका तैयार करना है। कोवावैक्स का स्टॉक भारत और दुनिया भर में उपलब्ध कराने के लिए हम तैयार हैं। हमें बस नियामक मंजूरी का इंतजार है। वहीं बूस्टर डोज के लिए पॉलिसी 2 हफ्ते में तैयार हो जाएगी।
इसके अलावा देश की कोविड टास्क फोर्स के चेयरमैन डॉ. एनके अरोड़ा का कहना है कि सरकार गंभीर रोगियों और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए वैक्सीन की एडिशनल डोज (बूस्टर डोज) पर नई पॉलिसी लाने जा रही है। साथ ही नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप (NTAG) इस पॉलिसी को 2 हफ्ते में तैयार करेगा। वहीं आपको बता दें NTAG देश के 44 करोड़ बच्चों के वैक्सीनेशन के लिए भी नई पॉलिसी लाने जा रहा है। इसे लेकर अरोड़ा ने कहा कि देश की कई लैब्स फिलहाल नए वैरिएंट पर भारत में मौजूद वैक्सीन की एफिकेसी की जांच कर रही है। इसमें 2 हफ्ते लग सकते हैं। इसके बाद ही हमें पता चलेगा कि कोवैक्सिन, कोवीशील्ड और दूसरी वैक्सीन नए वायरस से किस हद तक लड़ने में सक्षम हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बुजुर्गों के लिए बूस्टर डोज के बारे में भी पूछा भी पूछा गया। जिसे लेकर डॉ. अरोड़ा ने कहा कि कोरोना के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद कई देशों में बुजुर्गों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है। बता दें इनमें अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल शामिल हैं। आपको जानकारी के लिए बता दें कि बूस्टर का मतलब यह है कि हमें 94 करोड़ और डोज की जरूरत पड़ेगी। इन्हें एक रात में तैयार नहीं किया जा सकता। हालांकि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है। अरोड़ा ने आगे कहा कि देश में 12 से 15 करोड़ लोगों को वैक्सीन का एक भी डोज नहीं लगा है। 30 करोड़ लोगों को दूसरा डोज नहीं लगा है। साफ है कि हमें वैक्सीनेशन तेज करना होगा। इसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जाना चाहिए।
खास बात तो यह है कि भारत में अभी तक ओमिक्रॉन का एक भी केस सामने नहीं आया है। वहीं इस महीने की शुरुआत में बेंगलुरु पहुंचे 2 दक्षिण अफ्रीकी नागरिक कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इनमें से एक डेल्टा स्ट्रेन से संक्रमित पाया गया है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. के सुधाकर का कहना है कि टेस्ट के सैंपल्स जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब्स में भेजे गए हैं। साथ ही ओमिक्रॉन स्ट्रेन पर हम काफी सतर्क हैं। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) में एपिडेमियोलॉजी के चीफ डॉ. समीरन पांडा ने ओमिक्रॉन के पहले से ही भारत में मौजूद होने की संभावना जताई है। जिसे लेकर पांडा ने कहा कि इस वैरिएंट की जानकारी केवल टेस्ट से ही सामने आएगी।