हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है। ऐसे में संकष्टी का संस्कृत अर्थ संकटहरण या बाधाओं से मुक्ति है। इसको लेकर ज्योतिष ने बताया है कि साल 2021 की आखिरी संकष्टी चतुर्थी 22 दिसंबर को मनाई जाएगी। ऐसे में भक्तों के लिए बेहद ही शुभकारी होने वाली है। क्योंकि ये बुधवार के दिन आ रही है और बुधवार का दिन गणेश जी को ही समर्पित होता है। इसलिए इस दिन संकष्टी चतुर्थी होने के कारण यह दिन अधिक फलदायी होगा।
कहा जाता है कि इस दिन भगवन गणेश की मन से पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते है। हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक, गणेश बुद्धि और चातुर्य के देवता माने गए हैं। उनकी उपासना से बुद्धि अत्यंत तीव्र होती है तथा विद्या की प्राप्ति आसानी से हो जाती है। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा खास बात ये है कि साल का आखिरी संकष्टी चतुर्थी व्रत इंद्र योग में रखा जाएगा।
मुहूर्त –
इंद्र योग दोपहर 12.04 बजे तक रहेगा। 22 दिसंबर दिन बुधवार को शाम को 04:52 बजे से शुरु होगी। वहीं 22 दिसंबर दिन बुधवार को शाम को 04:52 बजे से शुरु होगी। जोकि 23 दिसंबर गुरुवार को शाम 06:27 पर समाप्त होगा। खास बात ये है कि इस दिन आप सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे के मध्य तक भगवान श्रीगणेश की पूजा कर सकते हैं।
पूजा विधि –
आपको बता दे, इस चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्म और स्नान करने बाद पूजाघर की साफ सफाई करें। वहीं आसन पर बैठकर व्रत का संकल्प लें और पूजा शुरू करे। पूजा में गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित कर ॐ ‘गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करें। इसके बाद केले के पत्ते पर रोली से चौक बनाएं। चौक के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें। पूजा के बाद चंद्रमा को शहद, चंदन, रोली मिश्रित दूध से अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।