राजेश ज्वेल
स्वच्छ रहना अब इंदौरियों की आदत में शुमार हो गया है, जिसके चलते शहर ने वो कीर्तिमान स्थापित कर लिया, जिसे भविष्य में कोई अन्य शहर तोड़ नहीं पाएगा। लगातार चार साल स्वच्छता में नम्बर वन बने रहना किसी करिश्मे से कम नहीं है। पूर्व महापौर व विधायक श्रीमती मालिनी गौड़ के कार्यकाल की यह अनूठी उपलब्धि है, जिसके चलते उनकी ,पूर्व निगमायुक्त और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह और आशीष सिंह की तिकड़ी ने यह शानदार चौका मारा है।
एक वक्त इंदौर की सड़कों पर कचरे के बड़े-बड़े ढेर नजर आते ही थे, वहीं आवारा पशुओं का भी डेरा रहता था, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन शुरू किया तो उसमें पहले साल तो इंदौर बाजी नहीं मार पाया, लेकिन अगले ही साल से उसने देश के 400 से अधिक छोटे-बड़े शहरों को पछाडऩे का जो सिलसिला शुरू किया तो वह अभी तक कायम रहा। पूर्व महापौर श्रीमती मालिनी गौड़ ने प्रधानमंत्री के इस मिशन को गंभीरता से अपनाया और तेजतर्रार अधिकारी के रूप में जब निगमायुक्त की कमान मनीष सिंह ने संभाली तो उन्हें फ्री हैंड भी दिया गया और अपनी ही पार्टी के पार्षदों-नेताओं के विरोध का भी सामना उन्हें करना पड़ा।
शहर को कचरा पेटियों से मुक्त करने के साथ-साथ सफाई कामगारों से काम करवा लेना सबसे बड़ी चुनौती था, जिसे मनीष सिंह ने बखूबी अंजाम दिया। उनकी सख्ती और मैदानी पकड़ के चलते नगर निगम ने पहली बार स्वच्छता का डंका बजाया और सीधे पहली पायदान पर पहुंच गया। अगले साल भी अवॉर्ड निगम के पास रहा, उसके बाद जब आयुक्त की कमान आशीष सिंह ने संभाली तो उन्होंंने भी स्वच्छता के मॉडल को यथावत रखा और भरपूर मेहनत की, जिसके चलते उनके कार्यकाल में भी इंदौर दो बार नम्बर वन आ गया। मालिनी, मनीष और आशीष की तिकड़ी ने जो चौका लगाया उसमें शहर की जनता के साथ सफाई मित्रों का योगदान सराहनीय रहा , ये कर्मचारी रात-दिन हर मौसम और कोरोना संक्रमण के दौरान भी मुस्तेदी से भिड़े रहे , निगम के अन्य सभी अफसरों और स्टॉफ , संगठनों और मीडिया का भी सहयोग कमतर नहीं रहा …सलाम इंदौर …सलाम स्वच्छता वीरों को ..