इंदौर । पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी आपने जीवन काल में जीवन काल में मां दुर्गा के स्वरूप मे थी । वह पूरे विश्व में भारत को ऊंचा स्थान और सम्मान दिलाने वाली महिला साबित हुई । उनके नेतृत्व में भारत ने नई ऊंचाइयों को पाया ।
यह विचार विभिन्न वक्ताओं ने विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 के 17 वार्डों में इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित परिचर्चा में व्यक्त किए । विधायक संजय शुक्ला के द्वारा इस परिचर्चा का आयोजन सभी 17 वार्डों में अलग-अलग स्थानों पर किया गया था । इस परिचर्चा को संबोधित करते हुए विधायक शुक्ला ने कहा कि आज हमारे देश के प्रधानमंत्री विश्व के अलग-अलग देशों के दौरे पर इतने ज्यादा रहते हैं कि जब अपने देश में आते हैं तो अखबारों में खबर बनती है । जिसमें लिखा होता है कि अब प्रधानमंत्री 4 दिन अपने ही देश में रहेंगे । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने कार्यकाल के दौरान इस तरह विश्व के भ्रमण पर नहीं जाती थी लेकिन विश्व में उनके नाम की तूती बोला करती थी ।
उस समय पर इंदिरा जी के द्वारा जो काम किए गए वह काम पूरे विश्व के लिए दिशा देने वाले साबित हुए । अपने जीवन काल में इंदिरा जी ने प्रधानमंत्री के रूप में भारत का जो नेतृत्व किया , उस नेतृत्व ने पूरे विश्व में भारत को विश्व गुरु का दर्जा दिलाया था । इंदिरा जी का यह कार्यकाल इतिहास के पन्नों पर दर्ज है जिसे वर्तमान पीढ़ी को पढ़ने और समझने की जरूरत है । याद कीजिए 1971 का महायुद्ध । जब पाकिस्तान की सेना ने भारत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। उस समय पूरे विश्व में भारत के शांति के संदेश को पहुंचाने के लिए इंदिरा जी ने इन सभी सैनिकों को माफ करने का ऐलान किया था । उस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेई ने कहा था कि यह इंदिरा नहीं दुर्गा है ।
इस परिचर्चा में विभिन्न वक्ताओं के द्वारा इंदिरा जी के जीवन काल की विभिन्न घटनाओं को रेखांकित करते हुए श्रोताओं को उन घटनाक्रमों की जानकारी दी । उन्होने बताया गया कि किस तरह जीवटता के साथ इंदिरा गांधी ने भारत का नेतृत्व किया था । श्रोता के रूप में मौजूद बहुत से युवाओं को इस बात की जानकारी नहीं थी कि इंदिरा जी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान देश को ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए क्या किया गया । इन सभी परिचर्चा में वक्ताओं के उद्बोधन के पश्चात अंत में राष्ट्रमाता इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इंदिरा गांधी द्वारा दिए गए देश की एकता के संदेश को अपने जीवन में अपनाने तथा एकता को तोड़ने वाले तत्वों को मुंहतोड़ जवाब देने का भी संकल्प लिया गया ।
इसमें प्रमुख रूप से प्रमोद द्विवेदी दीपू यादव अनिल शुक्ला प्रेम खड़ायता मजीत टुटेजा अनवर दस्तक मुबारिक मंसूरी मुकेश यादव शंकर नैनावा ठाकुर जितेंद्र सिंह सुनील परिहार पुष्कर पवार दप्रमोड जोशी दिलीप त्रिवेदी माखन चौधरी अमजद खान राजेश मेवाड़ा तपन शुक्ला विपिन गंगवाल महावीर जैन कमल गुप्ता योगेंद्र मौर्य मुन्ना ठाकुर प्रदीप दुबे संजय दुबे सुनील गोधा विजेंद्र चौहान प्रेम वर्मा विजय यादव चंद्रशेखर यादव सुषमा यादब नीलम श्रीवास्तव राजेश सांखला ज्वाला यादव शिव गुप्ता गुलरेज अली अद्दु खान लवेश जायसवल मदन यादव विजेंद्र यादव गौलु यादव रमेश बिंजवा सतीश बौरासी दयाल भत्कारे ओपी मिश्रा शुभम सावरिया कोमल सोनी राजेश भंडारी जीतू पाटिल सचिन दुबे दीपक गुर्जर अशोक जाट विपिन यादव अभिमन्यु शुक्ला बंटी ठाकुर शिवम यादव सर्वेश तिवारी जाकिर रंगरेज संतोष यादव जीतू साहू दीपक भूतिया आदि शामिल हुए ।