कमलनाथ बोले- अयोध्या में मन्दिर का वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थी जनता

Akanksha
Published on:
kamalnath at chhindwara

प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने एक अत्यंत महत्वपूर्ण समझौतावादी बयान दिया है। उनका कहना है कि अयोध्या मंदिर का देश की जनता वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थी और उसकी प्रबल इच्छा इसके निर्माण के लिए थी। संकेतों में उन्होंने यह कहने का प्रयास किया है कि इस मंदिर की प्रतीक्षा वे स्वयं और जनता के साथ-साथ कांग्रेसजन भी कर रहे थे। उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि इस मंदिर का निर्माण सर्वसम्मति से हो रहा है।यह तथ्यों के विपरीत है।इस मंदिर का निर्माण बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के विरोध के बावजूद सीधे सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कारण हो सका है। अनेक वामपंथी तथा धर्म निर्पेक्ष बुद्धिजीवियों ने इसका कड़ा विरोध किया था। यदि मामला सुप्रीम कोर्ट में लटका रहता अथवा निर्णय मंदिर के अनुरूप नहीं आता तो इसका निर्माण संभव नहीं होता।
विगत 36 वर्षों से राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण के मुद्दे पर कांग्रेस की स्थिति बहुत असमंजस की रही है, जोकि स्वाभाविक है। एक घोषित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी अल्पसंख्यकों की भावनाओं की कभी अनदेखी नहीं करसकती थी।लेकिन चुनाव की दृष्टि से बहुसंख्यक समुदाय को भी नाराज़ नहीं किया जा सकता था। शाहबानो प्रकरण में राजीव गांधी द्वारा की गई अनावश्यक राजनीतिक गलती का खामियाजा कांग्रेस ने लंबे अरसे तक चुकाया है और परोक्ष में आज भी चुका रही है। उस समय इस राजनीतिक चाल से हुई हानि के बाद इसकी काट के तौर पर राजीव गांधी के द्वारा तथाकथित हिन्दू कार्ड के तौर पर राम जन्मभूमि पर शिलान्यास विवादित भूमि के पास करवाया गया था। लेकिन उस समय लाल कृष्ण आडवाणी के विशाल आन्दोलन के समक्ष यह शिलान्यास फीका पड़ गया। कुल मिलाकर कांग्रेस ने कभी भी मंदिर निर्माण का खुलकर न तो समर्थन किया और ना ही विरोध। आर एस एस, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा ने खुलेआम हिंदुत्व का समर्थन करके बहुसंख्यक समुदाय के वोटों पर ऐसा क़ब्ज़ा कर लिया है कि मंदिर आंदोलन के बाद कांग्रेस को कभी भी स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो सका है।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व बिलकुल मौन है परंतु आसन्न चुनावों को देखते हुए कमलनाथ का बयान राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। फ़िलहाल कमलनाथ ने जो बयान दिया है वह मध्य प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द के पक्ष में हैं और राजनीतिक विद्वेष को निश्चित रूप से कम करने वाला है।