विजय अड़ीचवाल
आज शुक्रवार, आश्विन शुक्ल द्वितीया तिथि है।
आज स्वाति नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 नवरात्र में श्रीदुर्गा सप्तशती का सकाम या निष्काम भाव से संयत रहकर पाठ करना आवश्यक है। यम – नियम का पालन करते हुए पाठ करना चाहिए।
👉 नवरात्र में पूजन सात्विक होना चाहिए, तामस नहीं।
👉 पूजन वेद विधि या सम्प्रदाय निर्दिष्ट विधि से होना चाहिए।
👉 शारदीय नवरात्र पूजा की शुरुआत भगवान रामचन्द्र जी ने समुद्र तट पर से की थी।
👉 विधिपूर्वक स्थापित घट (कलश) पूजन से 9 दिनों में जल अमृतमय हो जाता है।
👉 द्वितीया तिथि से रेमन्त (अश्व) पूजा नवमी तक होती है। अश्व के गले में विभिन्न जड़ी – बूटियों की पोटली बॉंधी जाती है।
👉 नवरात्र में कुमारी पूजन परम आवश्यक माना गया है।
👉 नवरात्र के 9 दिन या समाप्ति के दिन 9 कुमारियों के चरण धोकर उन्हें देवी रूप मानकर पूजा – अर्चना करना चाहिए।
👉 एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य की, दो की पूजा से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
👉 तीन कन्या की अर्चना से धर्म, अर्थ, काम – त्रिवर्ग की, चार की अर्चना से राज्य पद की, पॉंच की पूजा से विद्या की प्राप्ति होती है।
👉 छह की पूजा से षट्कर्म सिद्धि की, सात कन्या की पूजा से राज्य की प्राप्ति होती है।
👉 आठ कन्या की अर्चा से सम्पदा की और नौ कुमारी कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।