प्रबंधन में पांच वर्षीय एकीकृत कार्यक्रम (आईपीएम) के ग्यारहवें बैच का शुभारम्भ24 सितंबर, 2021 को आईआईएम इंदौर में हुआ। बैच का उद्घाटन आईआईएम इंदौर के निदेशक प्रो. हिमाँशु राय ने किया। इस अवसर पर एस्ट्राजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड के कंट्री प्रेसिडेंट और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री गगनदीप सिंह मुख्य अतिथि थे। प्रो. श्रुति तिवारी, आईपीएम चेयर; प्रो. सुशांत कुमार मिश्रा, डीन-प्रोग्राम्स और कर्नल गुरुराज गोपीनाथ पामिडी (सेवानिवृत्त), मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, आईआईएम इंदौर भी उद्घाटन के दौरान उपस्थित थे।
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प्रो. हिमाँशु राय ने नए बैच का स्वागत किया और आईपीएम के लिए एक पूरी तरह से नया दृष्टिकोण साझा किया: सत्यनिष्ठा (Integrity), उद्देश्य (Purpose) और अर्थपूर्णता (Mindfulness)। उन्होंने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि आप खुश, संतुष्ट और सफल तभी हो सकते हैं जब आप जानते हैं कि आपके जीवन का उद्देश्य क्या है; आप वही कहते हैं जो आप वास्तव में स्वयं भी मानते हैं और वही करते हैं जो आप कहते हैं। ‘विचारों को नियंत्रित करना मुश्किल हो सकता है क्योंकि हमारा दिमाग सोते समय भी उतना ही सोच-विचार करता है जितना जागते समय। विचारों को नियंत्रित करना कठिन हो सकता है, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमारे शब्द, विचार और कार्य सामंजस्य में हों। यहीं पर सत्यनिष्ठा महत्त्व रखती है – आपके द्वारा किए जाने वाले प्रत्येक काम में अपना शत-प्रतिशत देने की सत्यनिष्ठा और सकारात्मक सोच के साथ अपनी वास्तविक क्षमता का प्रदर्शन करना अति-आवश्यक है’, उन्होंने कहा।
उन्होंने नए बैच को अपना उद्देश्य यानि पर्पसखोजने की सलाह दी। उस ब्रह्मांड की कल्पना करें जिसमें आप रहना चाहते हैं, ऐसी दुनिया जो बिना किसी भेदभाव के सभी को समान अवसर दे,जोन्याय से परिपूर्ण, हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त हो; और याद रखें कि आपको उस दुनिया को आपको स्वयं ही बनाना पड़ेगा।
‘अर्थपूर्णता’ के महत्व को साझा करते हुए, उन्होंने प्रतिभागियों को अपने हर काम के प्रति जुनूनी और संवेदनशील होने और अपने और दूसरों के प्रति दयालु होने के लिए प्रोत्साहित किया। ‘अपने आप में निवेश करें। किसी के लिए क्रोध या किसी भी बात के लिए अपराध बोध की भावना ले कर न जिएं क्योंकि इससेआप स्वयं के प्रति हिंसक हो रहे हैं ‘, उन्होंने सुझाव दिया।
अपनी यात्रा से अंतर्दृष्टि साझा करते हुए, श्री गगनदीप सिंह ने आईपीएम के विद्यार्थियों को रिश्तों और जीवन कौशल के महत्व के बारे में बताया। ‘मैंने अपनी यात्रा के दौरान महसूस किया कि अकादमिक उत्कृष्टता पर्याप्त नहीं है, क्योंकि सफल होने के लिए जीवन कौशल की भी आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे आप बड़े होंगे और एक साथ काम करेंगे, आप सीखेंगे और समुदाय की समस्याओं का समाधान खोजने में सक्षम होंगे, और यही आपको संतुष्ट बनाएगा।
भारत समाधान-खोजकर्ताओं और रचनाकारों के नाम से ही प्रसिद्द है; और देश को ऐसे युवाओं की जरूरत है जो समस्याओं का विश्लेषण कर सकें और अभिनव और लंबे समय तक मान्य समाधान खोज सकें। श्री सिंह ने उल्लेख किया कि लक्ष्य की ओर बढ़ते समय असफलताएँ और निराशाएँ आ सकती हैं, लेकिन डर से दृढ़ संकल्प को प्रभावित न होने दें। ‘आगे बढ़ते रहो और अपने आप को नकारात्मकता और भय में मत उलझने दो। नियमित रूप से, बार-बार, अपने आप को केवल एक प्रतिशत सुधारने पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करें। वह एक प्रतिशत अंत में महत्वपूर्ण परिणाम लाता है और तभी आपको एहसास होगा कि आपने बहुत कुछ सीखा है और अमूल्य अनुभाव प्राप्त किए हैं’, उन्होंने कहा।
इस बात पर जोर देते हुए कि वैश्विक नेतृत्व ने हमें महामारी से लड़ने में कैसे मदद की, श्री सिंह ने कहा कि हमें मिलकर समस्याओं का विश्लेषण करने और समाधान खोजने की जरूरत है, इसके बाद समाधानों को तेजी से लागू करने के लिए रणनीति विकसित करने की जरूरत है। ‘हमने महसूस किया कि वैक्सीन का उत्पादन इस नींव पर आधारित था कि हम में से कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं रहेगा जब तक हम सभी एक साथ सुरक्षित नहीं होंगे। इस महामारी के दौरान इसी सोच और लचीलेपन ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और मैं इस यात्रा का हिस्सा बनकर भाग्यशाली महसूस करता हूं ‘, उन्होंने कहा।
नए बैच को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आईआईएम इंदौर में आप जो भी सीखते हैं और जो कौशल आप विकसित करते हैं वह भविष्य में आपके मार्गदर्शक बनेंगे। ‘आईक्यू और कक्षाओं का ज्ञान लचीलेपन और अपने आसपास के वातावरण के ढलने की क्षमताओं जितना मायने नहीं रखते। सभी से सहयोग कर आगे बढ़ना महत्वपूर्ण है और इससे आपको व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता पाने में मदद मिलेगी। ‘हमेशा कुछ नया सीखते रहो, खुद को अपग्रेड करते रहो और हमेशा जिज्ञासु बने रहो। एक शिक्षार्थी होने के नाते आपको परिवर्तनों के अनुकूल होने और समाज की बेहतरी के लिए बदलाव लाने के लिए ज़रूरी कौशल मिलता है’, उन्होंने कहा।
नए बैच के शुरू होने के साथ ही आईआईएम इंदौर के आईपीएम ने इस साल दस साल पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर, प्रो. हिमाँशु राय द्वारा ‘टेन इयर्स ऑफ आईपीएम’ वीडियो भी लॉन्च किया गया, जिसने 2011 में शुरू हुएइस अद्वितीय फ्लैगशिप कार्यक्रम की दशक भर की यात्रा पर अंतर्दृष्टि प्रदान की।
नए बैच को मुख्य अतिथि के साथ बातचीत करने का भी अवसर मिला। कार्यक्रमके पहले दिन निदेशक और प्रोग्राम चेयर के साथ माता-पिता को भी बातचीत करने का अवसर मिला। प्रतिभागियों को विभिन्न छात्रावास और अन्य छात्र मामलों और परिसर में सुविधाओं के बारे में भी जानकारी दी गई। आईपीएम छात्र समन्वयक द्वारा रैगिंग की रोकथाम और निषेध पर भारत सरकार के निर्देश पर एक सत्र भी आयोजित किया गया।
इस मौके पर नए बैच को आईपीएम बैच 2014 गोल्ड मेडलिस्ट राधिका खंडेलवाल के साथ बातचीत करने का भी मौका मिला, जिन्होंने प्रतिभागियों के साथ आईआईएम इंदौर में अपनी पांच साल की यात्रा साझा की।
इंडक्शन प्रोग्राम का दूसरा दिन नए बैच को फैकल्टी सदस्यों के साथ बातचीत करने का अवसर प्रदान करेगा। वे आईटी, पुस्तकालय और एलएमएस सहित परिसर में विभिन्न सुविधाओं की जानकारी भी प्राप्त करेंगे। लैंगिक संवेदनशीलता पर एक सत्र भी आयोजित किया जाएगा।