मध्यप्रदेश में वर्ष 2026–27 के लिए बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा गया है। बिजली वितरण कंपनियों ने 6044 करोड़ रुपये के घाटे की भरपाई के उद्देश्य से 10.19 प्रतिशत टैरिफ वृद्धि की अनुमति मप्र विद्युत नियामक आयोग से मांगी है। आयोग ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए प्रस्ताव पर जनता से सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं।
आयोग के निर्देशानुसार बिजली वितरण कंपनियों के मुख्यालयों में अलग-अलग तिथियों पर जनसुनवाई आयोजित की जाएंगी। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के मुख्यालय जबलपुर में 24 फरवरी, पश्चिम क्षेत्र में 25 फरवरी और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल में 26 फरवरी को जनसुनवाई प्रस्तावित है। इससे पहले आयोग ने 25 जनवरी तक आम जनता से लिखित सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं।
सरकार पर जनता को गुमराह करने का आरोप
प्रदेश सरकार द्वारा बिजली दरों में वृद्धि की तैयारी के विरोध में जनसंगठनों ने कड़ा आक्रोश जताया है। संगठनों का आरोप है कि सरकार ने जनता को भ्रमित किया है। उनका कहना है कि प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्मन सिंह तोमर ने सितंबर में जीएसटी में कमी और कोयले पर लगने वाले कम्पनसेशन सेस की समाप्ति का हवाला देते हुए वर्ष 2026 में बिजली दरें घटने की घोषणा की थी। इसी के विरोध में आक्रोशित जनसंगठनों ने शनिवार को घंटाघर के पास एकत्र होकर राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और ऊर्जा मंत्री के इस्तीफे की मांग की।
स्मार्ट मीटर के नाम पर 750 करोड़ वसूली का आरोप
जानकार अधिवक्ता राजेंद्र अग्रवाल ने प्रस्तावित टैरिफ बढ़ोतरी पर आपत्ति जताते हुए इसे अनुचित बताया। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों ने याचिका में जिस 6,044 करोड़ रुपये के घाटे का हवाला दिया है, वह लगभग 12 वर्ष पुराना है और इसे आयोग पहले ही निरस्त कर चुका है। इसके साथ ही कंपनियां स्मार्ट मीटर के नाम पर करीब 750 करोड़ रुपये जनता से वसूलने की योजना बना रही हैं, जिसका उल्लेख भी याचिका में किया गया है।








