मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया है। लंबे समय से भूमि अधिग्रहण और बिजली ट्रांसमिशन लाइन स्थापना को लेकर जारी विवादों को समाप्त करने के उद्देश्य से सरकार ने मुआवज़ा राशि में भारी बढ़ोतरी की है। अब किसानों को उनकी भूमि के बदले मिलने वाली क्षतिपूर्ति को 85% से बढ़ाकर सीधे 200% कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले को ग्रामीण इलाकों में बेहद सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, क्योंकि किसान इसे अपने अधिकार और मेहनत का वास्तविक मूल्य मान रहे हैं।
भूमि अधिग्रहण नीति में बड़ा सुधार
राज्य सरकार ने हाईटेंशन लाइनों और ट्रांसमिशन नेटवर्क को मजबूत करने के लिए भूमि अधिग्रहण की नीति में व्यापक बदलाव किए हैं। नई नीति के अनुसार, यदि किसी किसान के खेत से 66 केवी या उससे अधिक क्षमता की हाईटेंशन लाइन गुजरती है, तो उसे कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार बाजार मूल्य का 200% मुआवज़ा दिया जाएगा। पहले यह दर केवल 85% थी, जिससे किसानों को अक्सर असंतोष रहता था। सरकार का मानना है कि इस कदम से न सिर्फ बिजली व्यवस्था का विस्तार तेज़ होगा, बल्कि अधिग्रहण से जुड़े विवाद भी काफी कम हो जाएंगे।
टावर लगने पर पूरी भूमि का मूल्य मिलेगा
राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया है कि जहां भी ट्रांसमिशन टावर लगाए जाएंगे, उन टावरों के चारों कोनों के आसपास अतिरिक्त एक-एक मीटर क्षेत्र का पूरा मुआवज़ा किसानों को दिया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि मुआवज़ा मिलने के बावजूद जमीन का स्वामित्व और उपयोग का अधिकार किसान के पास ही बना रहेगा। यानी टावर लग जाने के बाद भी किसान अपने खेत में खेती कर सकता है, जिससे उसकी आय पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। यह प्रावधान किसानों के लिए काफी राहत देने वाला माना जा रहा है।
लाइन के नीचे आने वाले क्षेत्र के लिए भी अलग क्षतिपूर्ति
सरकार के आदेश के अनुसार, हाईटेंशन लाइन के नीचे आने वाले हिस्से, यानी राइट ऑफ वे (ROW) क्षेत्र, के लिए किसानों को कलेक्टर गाइडलाइन के 30% तक का मुआवज़ा दिया जाएगा। इस क्षेत्र में किसी नई इमारत या बड़े निर्माण की अनुमति नहीं होगी, ताकि सुरक्षा मानकों का पालन हो सके। हालांकि किसान इस क्षेत्र को कृषि उपयोग में ले सकते हैं, जिससे उनकी भूमि पूरी तरह बेकार नहीं होगी।
कलेक्टर तय करेंगे वास्तविक मुआवज़ा
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी किसान को मिलने वाली क्षतिपूर्ति का निर्धारण जिला कलेक्टर करेंगे। कलेक्टर भूमि के बाजार मूल्य, गाइडलाइन और क्षेत्र की वास्तविक परिस्थितियों के आधार पर मुआवज़ा तय करेंगे। इसके अलावा विभिन्न क्षमता वाली ट्रांसमिशन लाइनों के लिए ROW की दूरी भी सरकार द्वारा सार्वजनिक कर दी गई है, ताकि किसान पहले से जान सकें कि उनकी भूमि कितनी प्रभावित होगी।









