बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता संजय दत्त ने अपनी गहरी आस्था का परिचय देते हुए गुरुवार, 25 सितंबर को उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए। उनका यह दौरा केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव था जिसने उन्हें अंदर तक छू लिया। सुबह की भस्म आरती में शामिल होकर, वह लगभग दो घंटे तक नंदी हॉल में बैठे रहे और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना में लीन रहे। इस दौरान उन्होंने मंत्रों का जाप करते हुए खुद को पूरी तरह से बाबा की भक्ति में समर्पित कर दिया।
रात में आगमन और आत्मीय स्वागत
संजय दत्त देर रात, लगभग तीन बजे, उज्जैन पहुँचे और बिना विलंब सीधे महाकाल मंदिर के भीतर प्रवेश किया। मंदिर में कदम रखते ही उनका स्वागत एक छोटे से, पर बेहद आत्मीय पल से हुआ: एक छोटी बच्ची ने उन्हें तिलक लगाकर उनका अभिनंदन किया। यह क्षण उनकी धार्मिक यात्रा की शुरुआत के लिए एक सुखद और आध्यात्मिक संकेत बन गया। नंदी हाल में बैठकर, उन्होंने भस्म आरती के दिव्य आनंद को महसूस किया और आरती के मंत्रों की ध्वनि में पूरी तरह से ध्यानमग्न हो गए।
भक्तिमय पूजा-अर्चना और अलौकिक अनुभव
भस्म आरती के दौरान संजय दत्त की भक्ति चरम पर थी। उन्होंने पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ मंत्रों का जाप किया और पूजा-अर्चना की। आरती समाप्त होने के बाद, उन्होंने देहरी से महाकाल के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। यह अनुभव उनके लिए न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण था, बल्कि इसने उन्हें एक अत्यंत सुखद और आध्यात्मिक अनुभूति दी, जिसकी छाप उनके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
बाबा का बुलावा और अविस्मरणीय पल
दर्शन के बाद, संजय दत्त ने मीडिया से बात करते हुए अपने अनुभव को साझा किया, जिसमें गहरी भावनाएं थीं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि यह क्षण उनके लिए अविस्मरणीय है। उन्होंने यह भी महसूस किया कि “बाबा महाकाल ने मुझे यहां बुलाया है,” जिससे पता चलता है कि यह यात्रा उनके लिए कितनी खास थी। उन्होंने बताया कि वह कई वर्षों से इस मंदिर में आने का प्रयास कर रहे थे और अब जाकर उन्हें महाकाल की शक्ति और आशीर्वाद का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ।
शांति और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक
संजय दत्त ने इस अनुभव को शब्दों में व्यक्त करना मुश्किल बताया, जो इस बात का प्रमाण है कि यह कितना गहरा और व्यक्तिगत था। उन्होंने सभी भक्तों से साझा किया कि बाबा महाकाल का आशीर्वाद अब हमेशा उनके साथ रहेगा। उनका यह मंदिर दौरा उनके जीवन में आध्यात्मिक शक्ति और शांति का एक नया अध्याय बन गया है।