भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड (बीसीएलएल) आने वाले समय में अपने बस बेड़े से सीएनजी लो-फ्लोर बसों को धीरे-धीरे हटाने की तैयारी कर रहा है। इसके स्थान पर, केंद्र सरकार की मदद से साल के अंत तक इलेक्ट्रिक बसों का नया बेड़ा शहर की सड़कों पर दौड़ता दिखाई देगा। बीसीएलएल का कहना है कि यह कदम न केवल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को आधुनिक बनाएगा बल्कि शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।
टूरिस्ट सर्किट से बढ़ेगा पर्यटन
बीसीएलएल ने पायलट प्रोजेक्ट के तहत भोपाल और उसके आसपास मौजूद प्रमुख पर्यटन स्थलों को आपस में जोड़ने के लिए एक विशेष “टूरिस्ट सर्किट प्लान” तैयार किया है। इस योजना के अनुसार, आईएसबीटी बस स्टैंड से इलेक्ट्रिक टूरिस्ट बसें चलाई जाएंगी। ये बसें केरवा, कलियासोत और कोलार डैम जैसे प्राकृतिक स्थलों के साथ-साथ सलकनपुर मंदिर, भोजपुर मंदिर, भीमबेटका की गुफाएं, उदयगिरि गुफाएं, हताईखेड़ा डैम और रातापानी जैसे ऐतिहासिक व धार्मिक स्थानों को भी कवर करेंगी। बीसीएलएल का दावा है कि इस सेवा से भोपाल आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और स्थानीय पर्यटन को नई ऊर्जा मिलेगी।
ई-बसों के साथ बढ़ेंगे नए रूट
अभी फिलहाल बीसीएलएल शहर में केवल छह रूट पर लगभग 110 बसों का संचालन कर रहा है। लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री ई-बस योजना के अंतर्गत मिलने वाली नई बसें भोपाल पहुंचेंगी, कंपनी रूट की संख्या को 30 तक बढ़ाने की योजना पर काम करेगी। अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए डिपो का चयन पहले ही किया जा चुका है और अगले 15 से 20 दिनों में चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण पूरा हो जाएगा। इसका मतलब है कि ई-बसों के आने से पहले ही इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह तैयार हो जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा
बीसीएलएल के डायरेक्टर मनोज राठौर ने बताया कि फिलहाल शहर में 85 सीएनजी बसें चल रही हैं और कुछ रूट पर अब भी डीजल बसें चल रही हैं। लेकिन सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले समय में केवल इलेक्ट्रिक और सीएनजी बसों का ही संचालन किया जाए। पुरानी और कंडम डीजल बसों को धीरे-धीरे बेड़े से बाहर किया जाएगा। इस बदलाव से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और भोपाल को अधिक स्वच्छ एवं प्रदूषण रहित शहर बनाने का सपना साकार होगा।