हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का त्योहार अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह उत्सव इस वर्ष 27 अगस्त से शुरू हो रहा है और 10 दिनों तक चलने के बाद अनंत चतुर्दशी को समाप्त होगा। भक्त पूरे वर्ष बेसब्री से इंतज़ार करते हैं कि कब विघ्नहर्ता गणेश जी उनके घर विराजेंगे। हालांकि इस पर्व से जुड़ी एक खास परंपरा है, इस दिन चांद देखने की सख्त मनाही होती है।
गणेश चतुर्थी और कलंक चतुर्थी का संबंध
गणेश चतुर्थी को कई स्थानों पर कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने से इंसान पर झूठा आरोप या मिथ्या कलंक लग सकता है। यही कारण है कि लोग इस दिन चांद देखने से बचते हैं। धर्मग्रंथों में इस पर कई कथाएं मिलती हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा गणेश जी और चंद्र देव से जुड़ी है।
गणेश जी और चंद्रमा की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार गणेश जी अपने वाहन मूषक पर सवार होकर विहार कर रहे थे। अचानक मूषक किसी चीज़ से ठोकर खा गया, जिससे गणेश जी नीचे गिर पड़े। यह दृश्य देखकर चंद्रमा जोर-जोर से हंसने लगे। गणेश जी को यह आचरण अत्यंत अनुचित लगा और उन्होंने क्रोधित होकर चंद्र देव को श्राप दे दिया।
श्राप यह था कि जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रमा के दर्शन करेगा, उस पर झूठा कलंक लगेगा और उसे मिथ्या दोष का सामना करना पड़ेगा।
भगवान कृष्ण पर भी लगा था झूठा आरोप
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने भी अनजाने में गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा देख लिया था। इसके बाद उन पर स्यामंतक मणि चोरी का झूठा आरोप लगाया गया। इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए उन्हें काफी प्रयास करने पड़े। इस कथा का ज़िक्र श्रीमद्भागवत पुराण में मिलता है।
संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन
जहां गणेश चतुर्थी पर चांद देखने की मनाही है, वहीं संकष्टी चतुर्थी पर चंद्र दर्शन करना अनिवार्य माना गया है। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत तभी पूर्ण होता है जब चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा की जाए। इस तरह, दोनों चतुर्थियों की मान्यताएं एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं।
गलती से चांद देख लिया तो क्या करें?
अगर कोई व्यक्ति भूलवश गणेश चतुर्थी की रात चांद देख ले, तो धर्मशास्त्रों में उसके निवारण के उपाय बताए गए हैं।
- भगवान श्रीकृष्ण का नाम जपें।
- गणेश जी का व्रत करें और उनकी आराधना करें।
- ‘सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत: सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:’ मंत्र का जाप करें।
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