एमपी में ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे प्रोजेक्ट को फिर मिली रफ्तार, जोड़े जाएंगे नए रूट, दो बड़े शहरों की घटेगी दूरी

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By Raj RathorePublished On: August 25, 2025

भोपाल और इंदौर के बीच सफर को आसान और तेज़ बनाने के लिए ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे परियोजना पर एक बार फिर से काम शुरू कर दिया गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में इस परियोजना को लेकर फिर से चर्चा तेज कर दी है। करीब 160 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेस-वे को पूरी तरह से नए मार्ग पर बनाया जाएगा। इसका मतलब है कि यह सड़क पहले से मौजूद हाईवे या किसी पुराने रास्ते पर नहीं, बल्कि बिल्कुल नए ट्रैक पर तैयार होगी।


पुराने प्रस्ताव से नए बदलाव तक

इस परियोजना का विचार सबसे पहले साल 2020 में सामने आया था। उस समय तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने इसका प्रारंभिक प्रस्ताव बनाया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान की भाजपा सरकार ने भी इसे आगे बढ़ाया। हालांकि बीच में काम ठंडे बस्ते में चला गया। अब बदलते हालात और नई ज़रूरतों के हिसाब से एक्सप्रेस-वे के रूट को लेकर मंथन चल रहा है। मप्र रोड डेवेलपमेंट कॉर्पोरेशन (MPRDC) के अधिकारी जेएएमए एसएच रिजवी ने बताया कि पहले बने प्रस्तावों को अपडेट किया जा रहा है, ताकि मौजूदा परिस्थितियों और ज़मीनी हकीकत के हिसाब से परियोजना आगे बढ़ सके।

कितना छोटा होगा सफर?

ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस-वे की लंबाई लगभग 146 से 160 किलोमीटर के बीच तय की गई है। फिलहाल भोपाल से इंदौर पहुंचने में करीब 3.5 से 4 घंटे का समय लगता है। इस नए मार्ग के बनने के बाद यात्रा का समय घटकर महज़ 2 घंटे 25 मिनट रह जाएगा। इसका मतलब यह हुआ कि दोनों शहरों के बीच की दूरी लगभग 40 किलोमीटर कम हो जाएगी और सफर भी कहीं ज्यादा आरामदायक होगा।

6 लेन का आधुनिक एक्सप्रेस-वे

यह एक्सप्रेस-वे 70 मीटर चौड़ा होगा। इसमें 6 लेन की मुख्य सड़क होगी, साथ ही दोनों ओर सर्विस रोड बनाई जाएंगी। इसके अलावा सड़क किनारे ग्रीन बेल्ट और सुरक्षा के लिए विशेष इंतज़ाम किए जाएंगे। चूंकि यह पूरी तरह एक्सेस कंट्रोल्ड होगा, इसलिए इसमें बीच रास्ते में कोई कट या क्रॉसिंग नहीं होगी, जिससे सफर पूरी रफ्तार और सुरक्षित रहेगा।

रूट और गांवों का दायरा

नए प्रस्ताव के अनुसार, यह एक्सप्रेस-वे भोपाल के पास समर्धा गांव से शुरू होगा। इसके बाद यह सीहोर, इछावर और आष्टा से होते हुए इंदौर तक पहुंचेगा। इस रूट में भोपाल, रायसेन, सीहोर और देवास ज़िलों की 7 तहसीलों को पार करना होगा। अभी तक की प्लानिंग में लगभग 124 गांव इस परियोजना की जद में आएंगे।

ज़मीन अधिग्रहण और चुनौतियां

इस एक्सप्रेस-वे के लिए करीब 1250 हेक्टेयर ज़मीन का अधिग्रहण करना होगा। इसमें निजी ज़मीन, कृषि भूमि और कुछ सरकारी ज़मीन भी शामिल है। ज़मीन अधिग्रहण हमेशा से किसी भी ग्रीन फील्ड परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती रही है। इसलिए प्रशासन को किसानों और प्रभावित लोगों के साथ बातचीत करके उचित मुआवजा और पुनर्वास की व्यवस्था करनी होगी।

क्यों अहम है यह परियोजना?

भोपाल और इंदौर, मध्यप्रदेश के दो सबसे बड़े और आर्थिक रूप से अहम शहर हैं। राजधानी और औद्योगिक हब के बीच तेज़ और आसान कनेक्टिविटी राज्य की अर्थव्यवस्था को नई गति देगी। जहां व्यापारियों को कम समय में माल ढुलाई की सुविधा मिलेगी, वहीं आम लोगों के लिए यात्रा भी आरामदायक और सुरक्षित होगी। यह एक्सप्रेस-वे भविष्य में देश के बड़े हाईवे नेटवर्क से भी जुड़ सकता है, जिससे मध्यप्रदेश की राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी और मजबूत होगी।