प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana) किसानों के लिए सुरक्षा कवच बनने के बजाय मजाक साबित हो रही है। धार जिले में लगातार बारिश और अतिवृष्टि से किसानों की फसलें पूरी तरह से चौपट हो गईं। नुकसान झेलने के बाद किसानों को उम्मीद थी कि बीमा योजना से उन्हें राहत मिलेगी। लेकिन जब कंपनियों ने मुआवजा राशि जारी की, तो यह रकम किसानों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी साबित हुई। कहीं 95 रुपये, कहीं 350 रुपये और कहीं अधिकतम 900 रुपये का मुआवजा दिया गया, जबकि किसानों से प्रीमियम तीन गुना ज्यादा वसूला गया था। इससे किसानों का गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने योजना को छलावा करार दिया।
किसानों का गुस्सा उबाल पर
किसानों का कहना है कि इतनी मामूली राशि का भुगतान कर बीमा कंपनियों ने उनकी मेहनत का अपमान किया है। उनका सवाल है कि 95 रुपये या 350 रुपये देकर आखिर उनका क्या भला हो सकता है? बीज, खाद, कीटनाशक और मजदूरी पर हजारों रुपये खर्च करने वाले किसानों के लिए इतनी छोटी रकम मजाक से ज्यादा कुछ नहीं है। किसानों ने कृषि विभाग को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि जल्द स्थिति स्पष्ट की जाए और उचित मुआवजा दिया जाए। 300 से अधिक किसानों ने अपने आधार कार्ड और बैंक डिटेल्स जमा कराए हैं। किसानों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि सात दिनों में समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।
कृषि विभाग का दावा
वहीं, कृषि विभाग का दावा है कि किसानों के साथ अन्याय नहीं किया गया है। उप संचालक कृषि ज्ञानसिंह मोहनिया ने बताया कि धार जिले में अब तक 1.54 लाख किसानों को 29 करोड़ 64 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। उनका कहना है कि क्लेम का आकलन पिछले पांच वर्षों के औसत उत्पादन और सैटेलाइट सर्वे के आधार पर किया जाता है। फिलहाल बीमा कंपनी से लाभार्थियों की सूची मांगी गई है, जिसके बाद यह साफ होगा कि किसे कितनी राशि दी गई है और किन किसानों को क्यों कम मुआवजा मिला।
किसानों के अनुभव जो बताते हैं कैसे ठगे गए
केस-1: चंद्रशेखर चौधरी, गांव बगड़ी
चंद्रशेखर चौधरी ने 8 बीघा खेत में सोयाबीन (प्रजाति 1135) बोई थी। भारी बारिश और अतिवृष्टि के कारण उत्पादन महज 4 क्विंटल ही हो पाया। उन्होंने बीमा योजना के तहत 1617 रुपये प्रीमियम भरा, लेकिन जब क्लेम आया तो उन्हें केवल 95 रुपये का मुआवजा मिला। इससे वे हताश और आक्रोशित हैं।
केस-2: दिनेश पाटीदार, गांव बोधवाड़ा
दिनेश पाटीदार ने 34 बीघा की फसल का बीमा कराया था। पति और पत्नी दोनों के खाते से मिलाकर 6400 रुपये प्रीमियम काटा गया। लेकिन बीमा क्लेम सिर्फ पत्नी के खाते में जमा हुआ, जबकि पति को कोई भुगतान नहीं मिला। इस तरह एक ही परिवार से डबल प्रीमियम काटकर भी आधे अधिकार से वंचित कर दिया गया।
केस-3: सुनील पाटीदार, गांव बोधवाड़ा
सुनील पाटीदार ने 20 बीघा खेत में फसल बोई थी। लेकिन खराब मौसम ने उनकी मेहनत को चौपट कर दिया। उन्होंने करीब 4000 रुपये प्रीमियम भरा था, लेकिन बीमा कंपनी ने उन्हें सिर्फ 900 रुपये का क्लेम दिया। उनके मुताबिक यह मुआवजा तो उनके एक बीघा के बीज और खाद का भी खर्च पूरा नहीं कर सकता।