मध्यप्रदेश की सबसे ज्यादा राजस्व अर्जित करने वाली नगरीय निकायों में गिनी जाने वाली नगर पालिका मंडीदीप इन दिनों वित्तीय संकट से जूझ रही है। हालात यह हैं कि यहां कार्यरत कर्मचारियों को हर महीने वेतन समय पर नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से न केवल कर्मचारियों और उनके परिवारों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है, बल्कि कई कर्मचारी समय पर बैंक किश्तें और लोन का भुगतान नहीं कर पाने के कारण डिफॉल्टर तक हो गए हैं। इस स्थिति से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और वे लगातार प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं।
600 से अधिक कर्मचारी प्रभावित
नगर पालिका मंडीदीप में वर्तमान में करीब 600 अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। इन सभी का मासिक वेतन मिलाकर लगभग 1.10 करोड़ रुपए बनता है। लेकिन नपा की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हो चुकी है कि यह भारी राशि समय पर जुटाना मुश्किल हो रहा है। शासन की ओर से चुंगी क्षतिपूर्ति के रूप में हर महीने केवल 35 से 40 लाख रुपए मिलते हैं, जबकि शेष रकम का इंतजाम नगर पालिका को अपनी आय से करना पड़ता है। यही वजह है कि समय पर वेतन का भुगतान लगातार टलता जा रहा है।
हड़ताल के बाद भी नहीं सुधरे हालात
करीब दो महीने पहले कर्मचारी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन कर चुके हैं। उस दौरान उनकी मुख्य मांग थी कि उन्हें हर महीने समयबद्ध वेतन मिले। साथ ही उन्होंने यह भी मांग रखी थी कि स्वच्छता विभाग में ऐसे कर्मचारियों को हटाया जाए, जो बिना काम किए घर बैठे वेतन ले रहे हैं। मगर, प्रदर्शन और आश्वासन के बावजूद अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन में देरी की वजह से उन्हें घरेलू खर्च चलाने के लिए उधार तक लेना पड़ रहा है।
वित्तीय संकट की वजहें
नगर पालिका की मौजूदा आर्थिक बदहाली के पीछे कई कारण सामने आ रहे हैं:
• घर बैठे वेतन पाने वाले कर्मचारी: नपा में 100 से अधिक कर्मचारी बिना किसी काम के केवल वेतन उठा रहे हैं। कर्मचारियों ने इस पर शिकायत की, लेकिन प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया।
• बकाया राजस्व: नपा का करीब 15 करोड़ रुपए का राजस्व विभिन्न करों में बकाया है, जिसे वसूलने में राजस्व विभाग नाकाम साबित हो रहा है।
• संपत्तियों का कुप्रबंधन: नपा की कई संपत्तियां लीज नीति के अभाव में बेकार पड़ी हैं। समय पर इन्हें लीज पर न देने से अतिरिक्त आय का नुकसान हो रहा है।
• टैक्स में बढ़ोतरी नहीं: लंबे समय से न संपत्तिकर बढ़ाया गया और न ही जलकर में वृद्धि हुई, जिससे आय स्थिर रह गई है।
• फिजूलखर्ची: नपा द्वारा कई बड़े आयोजनों और गैर-जरूरी कार्यों पर भारी रकम खर्च की गई, जिसने वित्तीय बोझ और बढ़ा दिया।
• नई आय नीति का अभाव: विज्ञापन, यूनिपोल और अन्य स्रोतों से आय बढ़ाने के लिए कोई ठोस योजना अब तक नहीं बनाई गई।
कर्मचारियों की नाराज़गी
नियमित वेतन भुगतान न होने से कर्मचारियों में गहरी नाराज़गी है। कर्मचारी नेता कमलेश लुटारे का कहना है कि देरी से वेतन मिलने की वजह से कई कर्मचारी बैंक और कंज्यूमर लॉन की किस्तें चुकाने में असमर्थ हो रहे हैं, जिसके चलते वे डिफॉल्टर बन गए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो कर्मचारी फिर से आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।
प्रशासन का दावा
वहीं, नगर पालिका सीएमओ प्रशांत जैन का कहना है कि प्रशासन लगातार वित्तीय स्थिति को बेहतर करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि आय के स्रोत बढ़ाने के लिए नए-नए नवाचार किए जा रहे हैं और जल्द ही स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा।