16 अगस्त को पूरे भारत में जन्माष्टमी का पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की रौनक के बाद अब भक्तों की नज़रें गणपति बप्पा के आगमन पर टिकी हैं।
हर साल गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के जन्मोत्सव को बड़े ही भव्य रूप से मनाया जाता है। दस दिनों तक चलने वाले इस पर्व में घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक पांडालों में बप्पा की प्रतिमा स्थापित की जाती है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी केवल धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि आस्था, भक्ति और उल्लास का अद्भुत संगम है। इस दिन भक्त बड़ी श्रद्धा के साथ बप्पा को घर बुलाते हैं। 10 दिनों तक उनकी सेवा, पूजा और भजन-कीर्तन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन विधिवत विसर्जन किया जाता है। भक्त मानते हैं कि इस पूजा से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
कब है गणेश चतुर्थी 2025?
पंचांग के अनुसार वर्ष 2025 में भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे से शुरू होकर 27 अगस्त दोपहर 3:44 बजे तक रहेगी। इसी कारण गणेश चतुर्थी का पर्व 27 अगस्त 2025, बुधवार को मनाया जाएगा। इसी दिन गणेश प्रतिमा की स्थापना और पूजन किया जाएगा।
पूजन का शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल में हुआ था, इसलिए स्थापना का यही समय सबसे शुभ माना जाता है। इस वर्ष 27 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 1:40 बजे के बीच गणेश प्रतिमा स्थापित करने का सर्वोत्तम मुहूर्त रहेगा।
पूजन की विधि
गणेश जी की स्थापना और पूजन के लिए कुछ विशेष नियम बताए गए हैं:
- सबसे पहले घर या पंडाल के पूजा स्थल को अच्छी तरह साफ करें और फूलों व रंगोली से सजाएं।
- शुभ मुहूर्त में लाल या पीले वस्त्र से ढकी वेदी पर प्रतिमा स्थापित करें।
- संकल्प जल, चावल और फूल लेकर करें।
- मूर्ति का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।
- स्नान के बाद बप्पा को नए वस्त्र और आभूषण पहनाएं।
- गणेश जी को उनकी प्रिय मिठाई मोदक और लड्डू का भोग लगाएं।
- पूजन में दूर्वा घास, सिंदूर और लाल फूल अर्पित करना अनिवार्य है।
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