भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जन्माष्टमी पूरे भारत में हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, मंदिरों को सजाते हैं और श्रीकृष्ण की लीलाओं की झांकियां तैयार करते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी पर दान का विशेष महत्व होता है, जो न केवल पुण्य प्रदान करता है, बल्कि जीवन में समृद्धि, खुशहाली और समस्याओं से मुक्ति भी देता है।
जन्माष्टमी पर दान का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि इस पावन दिन पर किया गया दान आर्थिक, वैवाहिक और मानसिक कठिनाइयों को दूर करने में सहायक होता है। यह न केवल ईश्वर की कृपा प्राप्त करने का मार्ग है, बल्कि समाज में सेवा और सहयोग की भावना को भी बढ़ाता है।
अन्न और अनाज का दान
अन्न दान को महादान कहा गया है। जन्माष्टमी पर चावल, गेहूं, दाल या अन्य अनाज जरूरतमंदों को दान करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। विशेष रूप से भूखे और गरीब लोगों को भोजन कराना भगवान कृष्ण को प्रसन्न करता है और घर में अन्न-समृद्धि बनाए रखता है।
वस्त्र और गाय का दान
इस दिन नए वस्त्र, विशेषकर पीले या सफेद रंग के कपड़े, किसी ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान करने से श्रीकृष्ण का विशेष आशीर्वाद मिलता है। प्राचीन परंपराओं में गाय दान का महत्व बताया गया है, लेकिन वर्तमान समय में गाय के पालन-पोषण के लिए आर्थिक सहायता देना भी उतना ही पुण्यकारी है।
माखन-मिश्री और फल का दान
भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री विशेष रूप से प्रिय है। जन्माष्टमी पर माखन, मिश्री, दूध या ताजे फल मंदिर में या जरूरतमंदों को अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। यह दान जीवन में मिठास बढ़ाता है, रिश्तों में प्रेम और सामंजस्य लाता है तथा घर में सुख-शांति का वातावरण बनाता है।
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