Viprit Rajyog : वैदिक ज्योतिष में शनि को न्याय का कारक माना गया है। शनि को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। शनि एक राशि में करीब ढाई वर्ष तक रहते हैं और उसके बाद दूसरी राशि में गोचर करने वाले हैं। बता दे कि शनि इस समय वक्री अवस्था में मीन राशि में विराजमान है और नवंबर तक वक्री अवस्था में ही रहने वाले हैं।
इसके बाद शनि मार्गी होंगे। शनि के मार्गी होने का लाभ कई राशि के जातकों को मिलने वाला है। शनि मार्गी होते ही विपरीत राजयोग का निर्माण करेंगे। सिंह राशि में बनने वाले इस राजयोग का असर कई राशियों के लिए बेहद लाभकारी साबित होने वाला है।
विपरीत राजयोग का निर्माण
शनि के मीन राशि में जाते ही विपरीत राजयोग का निर्माण होगा। इस समय वक्री शनि का गोचर मीन में देखा जा रहा है। 28 नवंबर को सुबह 9:20 पर शनि मीन राशि में मार्गी होंगे और विपरीत राजयोग का निर्माण होगा। विपरीत राजयोग का निर्माण तब होता है जब कुंडली के 6, 8 या 12वीं भाव का स्वामी, 6वीं, 8वीं और 12वीं भाव में गोचर करता है। ऐसे में सिंह राशि में शनि छठे भाव का स्वामी होकर आठवीं भाव में गोचर कर रहे हैं। जिसके कारण इस राजयोग का निर्माण होगा।
शनि के इस गोचर से सिंह राशि के जातकों को बड़ा लाभ मिलेगा। शनि की तीसरी दृष्टि दशम भाव पर, सातवीं दृष्टि धान भाव पर और दसवीं दृष्टि पंचम भाव पर पड़ी है। ऐसे में लंबे समय से चल रहे संघर्ष से मुक्ति मिलेगी। व्यक्ति को हर क्षेत्र में उन्नति और उपलब्धि मिलेगी। सफलता के मार्ग खुलेंगे। इसके साथ ही व्यापार में महत्वाकांक्षी सफलता मिलेगी।
मिथुन राशि के लिए यह राजयोग बेहद लाभकारी साबित होने वाले है। शनि के मार्गी होते ही नौकरी कर रहे जातकों के लिए समय अनुकूल रहेगा। कार्य में सफलता मिलेगी। बॉस आपके कार्य के प्रशंसा करेंगे। नई जिम्मेदारी मिल सकती है। वेतन वृद्धि के प्रबल योग हैं। इस अवधि में व्यापार का विस्तार करने में सफल रहेंगे। निवेश से लाभ मिलेगा।
तुला राशि के लिए यह समय बेहद लाभकारी साबित होने वाला है। कठिन मेहनत का फल मिलेगा। सफलता मिलने के योग है। घर में खुशियों का आगमन देखा जा सकता है इसके साथ ही कार्य स्थल पर आपकी स्थिति मजबूत रहेगी। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह समय बेहद लाभकारी साबित होने वाला है। इसके साथ ही पुरानी बीमारी से भी छुटकारा मिल सकता है।
Note : यह आलेख सामान्य जानकारी पर आधारित है। हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।