श्रावण मास को भगवान शिव की आराधना का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। मान्यता है कि इस मास में भोलेनाथ की कृपा सबसे शीघ्र प्राप्त होती है। खासकर जब भक्त शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं, तो उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन की बाधाएं दूर होने लगती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव को जल चढ़ाने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनका पालन करने से पूजा और भी प्रभावशाली हो जाती है?
शिव को जल अर्पण करते समय बरतें ये खास सावधानियां
पुराणों और तंत्र शास्त्रों में शिव पूजन को लेकर कुछ गुप्त नियम बताए गए हैं, जिनकी जानकारी आम लोगों को नहीं होती। इन नियमों का पालन करने वाले भक्तों को शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनका भाग्य तेजी से प्रबल हो सकता है। आइए जानते हैं ऐसे ही तीन गुप्त और फलदायी नियम जो श्रावण मास में शिव को जल अर्पण करते समय ज़रूर अपनाने चाहिए।
शिवलिंग के पीठभाग को न छूने दें जल
शिवपुराण में उल्लेख है कि शिवलिंग के पीछे का हिस्सा, जिसे ब्रह्मभाग कहा जाता है, अत्यंत पवित्र होता है और इस पर जल चढ़ाना या स्पर्श करना वर्जित है। जलाभिषेक करते समय भक्त को यह विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जल केवल शिवलिंग के अग्रभाग (मुख की ओर) से होकर जलाधारी में गिरे। यदि जल पीठभाग से होकर बहता है, तो पूजा दोषपूर्ण मानी जाती है। यह नियम न केवल शास्त्रीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे आपकी पूजा भी अधिक प्रभावी बनती है।
सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में करें जलाभिषेक
श्रावण सोमवार का अपना ही विशेष महत्व होता है, लेकिन यदि आप इस दिन सूर्योदय से पहले, यानी ब्रह्म मुहूर्त में शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, तो इसका फल कई गुना अधिक प्राप्त होता है। ब्रह्म मुहूर्त को तंत्र और साधना के लिए सबसे शक्तिशाली समय माना जाता है। इस समय शिव का ध्यान, जाप और अभिषेक अत्यधिक फलदायी होता है। अतः यदि संभव हो तो हर श्रावण सोमवार को सुबह 4 बजे से 5.30 बजे के बीच जल अर्पण करें।
अपनी मनोकामना को गुप्त रूप से करें व्यक्त
तांत्रिक और मानसिक दोनों दृष्टियों से यह सिद्ध हुआ है कि जब आप अपनी इच्छाओं को केवल ईश्वर से गुप्त रूप में साझा करते हैं, तो उनकी पूर्ति का योग बहुत बढ़ जाता है। जल चढ़ाते समय अपनी मनोकामना को मन ही मन भोलेनाथ को कहें, लेकिन उसे किसी अन्य से साझा न करें। यह एक प्रकार का गुप्त तांत्रिक सिद्धांत है, जो आपकी कामनाओं को ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जोड़ता है। इससे इच्छा पूरी होने की संभावना तीव्र हो जाती है।
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