सावन महीने में आने वाली शिवरात्रि बेहद खास और महत्वपूर्ण मानी जाती है। सभी भक्त इस दिन विधि विधान के साथ पूजा पाठ और भगवान शिव की आराधना करते हैं। हिंदू धर्म के मुताबिक सावन महीना बहुत ही पवित्र और पावन माना जाता है। पूरे महीने में सभी शिव भक्त भगवान शिव की भक्ति में और पूजा पाठ आराधना में लीन रहते हैं। इस महीने में भक्त का अभिषेक करते हैं और व्रत रखते हैं। इस शिवरात्रि पर किस प्रकार से पूजा पाठ करनी है इसके नियम क्या है आइए इसके बारे में जानते हैं।
सावन की शिवरात्रि कब मनाई जाएगी
सावन की शिवरात्रि पंचांग के मुताबिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाएगी जो 23 जुलाई बुधवार के दिन सुबह के समय 4:39 पर है और इसकी समाप्ति 24 जुलाई को 2:28 तक है। पूजा का शुभ मुहूर्त 24 जुलाई को 12:07 से लेकर 12:48 तक है यह पूजा का सबसे उत्तम और शुभ मुहूर्त है। इस दिन शुभ मुहूर्त पर पूजा पाठ करें और भगवान शिव को प्रसन्न करें।
सावन शिवरात्रि पर पूजा पाठ के नियम
सावन शिवरात्रि के पूजा पाठ के कई नियम होते हैं। जिसमें आपको सबसे पहले सुबह के समय उठकर स्नान कर लेना चाहिए और साफ सुथरे कपड़े पहन लेना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव और पार्वती के प्रतिमा को स्थापित कर ले। शिवलिंग पर बेलपत्र दूध दही जल शहद और गंगाजल का अभिषेक करें। इसके अलावा शिवजी पर धतूरा और सफेद फूल दिया अर्पित किए जा सकते हैं। मां पार्वती को सुहागन का सामान अर्पित करें। शिव जी के समीप चलाएं आरती करें और घी का दिया जलाएं। “ओम नमः शिवाय” का जाप करते रहे।
सावन शिवरात्रि का व्रत पारण करने का समय
सावन शिवरात्रि को भक्त बड़े ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार पर व्रत रखने पर जिस दिन आप व्रत रखते हैं, उसकी अगली सुबह व्रत का पारण करना है। व्रत के पारण का सबसे सही और शुभ मुहूर्त 24 जुलाई के दिन सुबह के समय 5:38 के बाद है। इस शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें तो लाभदाई फल मिलता है।
सावन शिवरात्रि किन देशों में मनाई जाती है
सावन शिवरात्रि को उत्तर भारत में बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा दक्षिण और पश्चिम भारत में भी इसे मनाया जाता है। यह त्यौहार कुंवारी महिलाओं और विवाहित महिलाओं दोनों के लिए फलदाई माना जाता है। इससे विवाहित महिलाओं के जीवन में सुख शांति और प्रेम बना रहता है। व्रत को करने के कई अलौकिक फायदे देखने को मिलते हैं।