रेलवे का मेगा प्लान, चलेंगी 1000 नई ट्रेनें, मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया फ्यूचर विजन का खुलासा

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By Saurabh SharmaPublished On: July 9, 2025

भारतीय रेलवे अब सिर्फ एक सफर का जरिया नहीं, बल्कि देश के आर्थिक विकास, ग्लोबल प्रतिस्पर्धा और टिकाऊ भविष्य का अहम हिस्सा बनता जा रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में रेलवे के भविष्य की बड़ी तस्वीर पेश की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे आने वाले वर्षों में रेलवे न सिर्फ देश की जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि भारत को दुनिया में रेल निर्माण और निर्यात का हब भी बनाएगा।


भारतीय रेलवे में 1000 नई ट्रेनें और हाईस्पीड बुलेट का नया युग

रेल मंत्री ने बताया कि आने वाले सालों में भारतीय रेलवे 1,000 नई ट्रेनों को ट्रैक पर उतारने की तैयारी में है। इसके साथ ही बुलेट ट्रेन का भी 2027 तक व्यावसायिक संचालन शुरू हो जाएगा। यह हाईस्पीड ट्रेन जापानी तकनीक के सहयोग से बनाई जा रही है और 2026 तक इसका पहला प्रोटोटाइप ट्रैक पर दौड़ने लगेगा। बुलेट ट्रेन सिर्फ गति की बात नहीं है, यह भारत की टेक्नोलॉजिकल क्षमताओं और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। इसके लिए जरूरी जटिल कम्पोनेंट जैसे 40 मीटर लंबे गर्डर अब भारत में ही बन रहे हैं और इन्हें विदेशों में निर्यात भी किया जा रहा है।

रिकॉर्ड निवेश से रेलवे में आ रहा है बड़ा बदलाव

रेल मंत्री ने बताया कि 2014 में जहां रेलवे में सिर्फ 25,000 करोड़ रुपये का निवेश होता था, वहीं अब यह बढ़कर 2.52 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। इसमें 20,000 करोड़ रुपये की निजी साझेदारी (PPP) का निवेश भी शामिल है। इस निवेश से न केवल नए ट्रैक और इंजन बन रहे हैं, बल्कि सुरक्षा और संरचना में भी इनोवेशन हो रहा है। पिछले 11 वर्षों में भारत ने 35,000 किलोमीटर नए ट्रैक बिछाए हैं, जो कि जर्मनी के कुल रेलवे नेटवर्क के बराबर है। अकेले पिछले साल 5,300 किलोमीटर ट्रैक जोड़ा गया। भारत में हर साल 1,500 लोकोमोटिव और 30,000 माल वैगन बनाए जा रहे हैं, जो अमेरिका और यूरोप के संयुक्त उत्पादन से भी ज्यादा है।

मालवाहन और पर्यावरण – रेलवे का रणनीतिक योगदान

भारतीय रेलवे अब लॉजिस्टिक्स के क्षेत्र में भी गेम चेंजर बनने की ओर है। माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी पहले 26% थी, जो अब बढ़कर 29% हो चुकी है और लक्ष्य है इसे 35% तक ले जाना। रेल मंत्री के अनुसार, रेलवे न सिर्फ सबसे सस्ता विकल्प है, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी सबसे बेहतर है। सड़कों की तुलना में रेलवे की प्रति टन-किमी लागत आधी है और यह 95% तक पर्यावरण के अनुकूल है। यह पहल भारत को न सिर्फ हरित विकास की ओर ले जाएगी, बल्कि लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत भी घटाएगी, जिससे व्यापार और उद्योग को बड़ा फायदा होगा।

यात्री सुविधाओं में भी क्रांतिकारी सुधार

भारतीय रेलवे अब यात्री अनुभव को बेहतर बनाने के लिए भी लगातार काम कर रहा है। पिछले दो वर्षों में 2,000 से ज्यादा जनरल कोच जोड़े गए हैं ताकि भीड़ कम हो और आम यात्रियों को सुविधा मिले। साथ ही अमृत भारत और नमो भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चलाई गई हैं, जो सुविधाजनक और आरामदायक हैं। किराया अब भी पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों की तुलना में काफी कम है, ताकि रेल यात्रा आम आदमी की पहुंच में बनी रहे।

सुरक्षा के लिहाज से भी रेलवे ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जहां पहले हर साल 170 के करीब ट्रेनें पटरी से उतरती थीं, अब यह संख्या घटकर 30 से भी कम रह गई है। पिछले 10 वर्षों में रेल हादसों में 80% की कमी आई है, जो आधुनिक सिग्नलिंग, बेहतर ट्रैक और रोज़ाना सुरक्षा समीक्षा का नतीजा है।