9 जुलाई को भारत बंद: बैंक से लेकर कोयला खनन तक ठप, स्कूल-कॉलेजों पर भी दिखेगा असर

10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल, सरकार की श्रम नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन, भारत बंद का ऐलान, 25 करोड़ कर्मचारियों का समर्थन

Dilip Mishra
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9 जुलाई को भारत बंद: बैंक से लेकर कोयला खनन तक ठप, स्कूल-कॉलेजों पर भी दिखेगा असर

9 जुलाई 2025 को देशभर में भारत बंद का आह्वान किया गया है। देश की 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा फोरम ने यह राष्ट्रव्यापी हड़ताल केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ बुलाई है। यूनियनों का आरोप है कि पिछले एक दशक से सरकार ने श्रमिकों की मांगों की अनदेखी की है, और कोई वार्षिक श्रम सम्मेलन भी आयोजित नहीं किया गया। इस बंद में बैंकिंग, बीमा, डाक, परिवहन, कोयला खनन और फैक्ट्री सेक्टर के कर्मचारी शामिल होंगे। संगठन का दावा है कि करीब 25 करोड़ श्रमिक और कर्मचारी इस बंद का हिस्सा बनेंगे।

इन सेवाओं पर पड़ेगा सीधा असर

हड़ताल से बैंकिंग सेवाएं बाधित हो सकती हैं, हालांकि रिजर्व बैंक ने किसी आधिकारिक बंदी का आदेश नहीं दिया है। डाक सेवाओं में देरी, कोयला खनन में रुकावट और राज्य परिवहन व्यवस्था भी प्रभावित होने की संभावना है।
हिंद मजदूर सभा के नेता हरभजन सिंह सिद्धू ने कहा कि हड़ताल का असर पूरे देश में दिखेगा। सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिससे स्कूल-कॉलेज आने-जाने में भी दिक्कतें आ सकती हैं। वहीं, बाजारों में भी आवाजाही कम रहने की आशंका है।

पटना में राहुल गांधी की अगुवाई में विरोध मार्च

कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने इस बंद को समर्थन दिया है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी 9 जुलाई को पटना में विरोध मार्च में शामिल होंगे। यह मार्च इनकम टैक्स गोलंबर से चुनाव आयोग कार्यालय तक निकाला जाएगा। उनके साथ तेजस्वी यादव समेत इंडिया गठबंधन के अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे। कांग्रेस ने इसे “श्रमिकों की आवाज़” बताया है और केंद्र सरकार की श्रमिक विरोधी नीतियों को वापसी लेने की मांग की है।

भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल से बनाई दूरी

वहीं, भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने इस भारत बंद से खुद को अलग कर लिया है। संघ के महामंत्री रविंद्र हिमते ने कहा कि यह हड़ताल राजनीतिक रूप से प्रेरित है और श्रमिकों के असली मुद्दों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि BMS ने लेबर कोड्स के दो प्रावधानों का समर्थन किया है, और उनके संगठन की यूनियनें इस हड़ताल में हिस्सा नहीं लेंगी। 9 जुलाई का भारत बंद कई प्रमुख सेवाओं को प्रभावित कर सकता है, विशेषकर सार्वजनिक क्षेत्र और राज्य परिवहन में। हालांकि सभी यूनियनों की भागीदारी नहीं होने से इसका असर क्षेत्रीय तौर पर अलग-अलग हो सकता है। फिर भी राजनीतिक दलों के समर्थन से यह विरोध प्रदर्शन केंद्र सरकार के खिलाफ एक बड़ी श्रमिक शक्ति का प्रदर्शन माना जा रहा है।