केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए), विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार एवं भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने भारतीय विद्युत क्षेत्र में अनुसंधान, योजना, नवाचार एवं क्षमता निर्माण में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
विद्युत मंत्रालय, सीईए एवं आईआईटी रुड़की के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में इस समझौता ज्ञापन पर बीते मंगलवार को हस्ताक्षर किए गए। इस रणनीतिक साझेदारी का उद्देश्य आईआईटी रुड़की की शैक्षणिक और शोध क्षमताओं को सीईए की तकनीकी और विनियामक विशेषज्ञता के साथ समन्वित करना है, ताकि विद्युत क्षेत्र में प्रमुख चुनौतियों का समाधान किया जा सके और भारत के ऊर्जा परिवर्तन में सहायता की जा सके।

इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत, दोनों संस्थान विद्युत प्रणाली नियोजन, नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, ग्रिड विश्वसनीयता एवं लचीलापन, तथा ऊर्जा भंडारण पर केंद्रित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं में सहयोग करेंगे। साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के लिए तकनीकी अध्ययन और नीति विश्लेषण करेंगे सेमिनार, प्रशिक्षण कार्यक्रम, इंटर्नशिप एवं कार्यशालाओं जैसे ज्ञान-साझाकरण कार्यक्रम आयोजित करेंगे, विद्युत प्रणाली विश्लेषण और दीर्घकालिक नियोजन के लिए तकनीकी उपकरण और सॉफ्टवेयर विकसित करेंगे, सीईए एवं अन्य विद्युत क्षेत्र की संस्थाओं के व्यावसायिकों के लिए अनुकूलित क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित करेंगे।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अध्यक्ष घनश्याम प्रसाद ने ऊर्जा क्षेत्र में टिकाऊ एवं नवीन समाधान प्राप्त करने में शिक्षा-सरकार सहयोग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. के.के. पंत ने राष्ट्रीय विकास में योगदान देने की संस्थान की विरासत पर गर्व व्यक्त किया और विद्युत क्षेत्र में अनुप्रयुक्त अनुसंधान को बढ़ावा देने तथा व्यावसायिकों के कौशल विकास में इस साझेदारी के महत्व पर बल दिया। यह समझौता ज्ञापन भारत की ऊर्जा अवसंरचना को मजबूत करने तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप स्वच्छ, अधिक विश्वसनीय और आत्मनिर्भर विद्युत प्रणाली सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।