
सोयाबीन की खेती करके किसान बीते कई सालों से परेशान हो चुके हैं। सोयाबीन की फसल में लागत ज्यादा लग रही है और ऊपर से मुनाफा उतना भी नहीं हो पा रहा जितनी लागत लग रही है। लगातार सालों से सोयाबीन की खेती कर रहे किसानों को केवल नुकसान हो रहा है। जिसके चलते आप किसानों में सोयाबीन की खेती न करके मक्के की खेती करने का निर्णय लिया है। अधिकतर किसान अब मक्के की खेती कर रहे हैं।
सोयाबीन की खेती में नुकसान
बीते कई सालों से सोयाबीन की खेती कर रहे किसानों का कहना है कि कई सालों से वह सोयाबीन की खेती कर रहे हैं, लेकिन ₹4000 प्रति क्विंटल के ऊपर कीमत मिल नहीं रही है ऊपर से इनको नुकसान अलग हो रहा है। अलग-अलग रोगों से फसल को नुकसान हो रहा है। जहां खर्च प्रति बीघा ₹10000 आ रहा है वही इससे मुनाफा इसका आधा भी नहीं निकल पा रहा है। किसानों को सोयाबीन की फसल से केवल घाटा हो रहा है।

किसान बो रहे मक्के
अब ऐसे में जब सालों से किसानों को सोयाबीन की फसल से मुनाफा नहीं हो रहा है तब उन्होंने सोयाबीन की फसल की जगह मक्के की फसल बोने का निर्णय लिया जिससे इस साल अधिकतर किसानों ने मक्के की फसल बोई है। अब ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि किसानों को मक्के की फसल का अच्छा भाव मिलेगा और उन्हें इस साल मुनाफा होगा।
सरकार भी दे रही अनुदान
मक्के की फसल से किसानों को अब बहुत उम्मीद है। किसानों का कहना है कि मक्के की फसल से सोयाबीन की फसल से ज्यादा कमाई होगी। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार की तरफ से किसानों को मक्के की फसल के लिए प्रति हेक्टेयर ₹4000 का अनुदान दिया जा रहा है। किसानों के लिए यह एक कमाई का अच्छा मौका साबित हो सकता है।