मोहन सरकार फिर ले रही 4500 करोड़ का कर्ज, लाड़ली बहना योजना और DA भुगतान के लिए जुटाया जा रहा फंड

मध्यप्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक 9500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है और 3 जून को 4500 करोड़ रुपए का नया ऋण लेने जा रही है। यह कर्ज विकास कार्यों, कर्मचारियों के भत्तों और कल्याणकारी योजनाओं के लिए लिया जा रहा है।

Srashti Bisen
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मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार वित्त वर्ष 2025-26 में एक बार फिर कर्ज ले रही है। इस बार सरकार कुल 4500 करोड़ रुपए का ऋण लेगी, जिसे दो किश्तों में लिया जाएगा, पहली किश्त 2000 करोड़ रुपए की होगी, जबकि दूसरी किश्त 2500 करोड़ रुपए की होगी। यह कर्ज भारत सरकार के रिज़र्व बैंक के माध्यम से 3 जून 2025 को उठाया जाएगा।

पिछले महीनों में भी लिए गए हैं कर्ज

यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में कर्ज लिया हो। मई 2025 में भी सरकार ने दो बार 2500-2500 करोड़ रुपए के कर्ज लिए थे। इनमें पहला ऋण 12 वर्ष की अवधि के लिए है, जिसका भुगतान 7 मई 2037 तक किया जाएगा, जबकि दूसरा ऋण 14 वर्षों के लिए है, जिसकी अदायगी 7 मई 2039 तक पूरी की जाएगी।

अब तक कुल कितना कर्ज लिया जा चुका है?

अब तक मध्यप्रदेश सरकार वित्त वर्ष 2025-26 में कुल 9500 करोड़ रुपए का ऋण ले चुकी है। अप्रैल को छोड़कर हर महीने कर्ज लिया गया है। नए ऋण के बाद राज्य का कुल ऋण भार बढ़कर लगभग 4 लाख 31 हजार 740 करोड़ रुपए हो जाएगा।

कर्ज लेने के पीछे क्या कारण हैं?

सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस ऋण का उद्देश्य राज्य की विभिन्न योजनाओं और बुनियादी ढांचे के कार्यों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। इनमें प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • विकास परियोजनाओं के लिए फंडिंग: राज्य में चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों के लिए पूंजी जुटाना।
  • कर्मचारियों के वेतन-भत्ते: विशेष रूप से महंगाई भत्ते (DA) का भुगतान सुनिश्चित करना।
  • ‘लाड़ली बहना योजना’ की किस्तें: महिलाओं के लिए चलाई जा रही इस लोकप्रिय योजना की मासिक किस्तें समय पर वितरित करना।
  • मानसून पूर्व निर्माण कार्य: बारिश से पहले आवश्यक निर्माण व मरम्मत कार्यों के लिए धन की जरूरत पूरी करना।

राज्य की आमदनी और खर्च का तुलनात्मक विश्लेषण

अगर रेवेन्यू सरप्लस (राजस्व अधिशेष) की बात करें, तो वित्त वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने 12,487.78 करोड़ रुपए का अधिशेष दिखाया था। इस दौरान राज्य की कुल आमदनी 2,34,026.05 करोड़ रुपए रही, जबकि खर्च 2,21,538.27 करोड़ रुपए तक सीमित रहा।

रिवाइज्ड आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में राज्य की आमदनी बढ़कर 2,62,009.01 करोड़ रुपए हो गई, जबकि खर्च 2,60,983.10 करोड़ रुपए रहा। इस प्रकार राज्य को 1025.91 करोड़ रुपए का रेवेन्यू सरप्लस मिला, जो संकेत देता है कि वित्तीय स्थिति फिलहाल संतुलन में है, लेकिन ऋण भार को लेकर सतर्क रहना आवश्यक होगा।