व्यापमं स्कैम की तरह MP पुलिस भर्ती में भी हुआ फर्जीवाड़ा, असली कैंडिडेट्स के बदले सॉल्वर ने दी परीक्षा

मध्यप्रदेश की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में भी व्यापमं जैसे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है, जिसमें असली अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर ने परीक्षा दी थी। जांच में 19 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है और संभावना है कि मामले और बढ़ेंगे, साथ ही आधार केंद्रों की मिलीभगत का भी संदेह जताया गया है।

Abhishek Singh
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मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाले की तरह ही पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में भी फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। दो साल पहले आयोजित हुई इस परीक्षा में असली अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर बैठाए गए थे। यह खुलासा दस्तावेजों की जांच के दौरान हुआ, जब कई अभ्यर्थियों की जानकारी में अनियमितताएं पाई गईं। अब तक राज्य के विभिन्न जिलों में 19 ऐसे आरक्षकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, जो धोखाधड़ी कर भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए थे।

पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, फर्जीवाड़े के मामलों की संख्या और बढ़ सकती है। जांच में सामने आया है कि इन अभ्यर्थियों ने अपने आधार कार्ड में सॉल्वर का नाम और फोटो अपडेट करवा कर परीक्षा में धोखाधड़ी की। इस पूरे मामले में आधार केंद्रों की मिलीभगत की भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

इस मंडे रिपोर्ट के द्वारा जानिए हर वो कड़ी, जिससे समझ पाएंगे कि कैसे सिस्टम में सेंध लगाकर रचा गया भर्ती परीक्षा घोटाला।

रिकॉर्ड में गड़बड़ी, फोटो, सिग्नेचर और लिखावट तीनों अलग

यह मामला ग्वालियर के कंपू थाने का है, जहां 14वीं बटालियन के सब इंस्पेक्टर रघुनंदन शर्मा की शिकायत पर 31 मई को पांच अभ्यर्थियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इनमें से तीन मुरैना के निवासी हैं, जबकि अन्य दो श्योपुर और शिवपुरी से हैं। जांच के दौरान पता चला कि इन अभ्यर्थियों ने नियुक्ति प्रक्रिया के दौरान आधार कार्ड की हिस्ट्री में छेड़छाड़ की थी। उन्होंने जुलाई 2023 में, लिखित परीक्षा से ठीक पहले, अपने आधार में अपडेट करवाया था।

इसमें अभ्यर्थियों ने अपने आधार कार्ड में सॉल्वर की फोटो अपडेट करवाई थी। इसके बाद अगस्त-सितंबर 2023 में लिखित परीक्षा आयोजित की गई। परीक्षा संपन्न होने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने पुनः अपने आधार में बायोमेट्रिक जानकारी अपडेट करा ली। जब कर्मचारी चयन मंडल से संबंधित दस्तावेज और रिकॉर्ड मंगवाए गए तो न केवल फोटो मेल नहीं खाए, बल्कि उत्तरपुस्तिका पर लिखावट भी भिन्न पाई गई।

नियुक्ति के बाद खुला रिकॉर्ड में फर्जीवाड़ा

शिवपुरी की 18वीं बटालियन में ग्वालियर के घाटीगांव निवासी निर्भय गुर्जर और डबरा के भूपेंद्र सिंह की नियुक्ति हो चुकी थी। दोनों ने अपनी जगह लिखित परीक्षा में सॉल्वर से परीक्षा दिलाई थी। दस्तावेजों की जांच में पता चला कि इन जवानों के फिंगरप्रिंट मैच नहीं करते थे।

पूछताछ के दौरान दोनों आरोपी संतोषजनक जवाब देने में असफल रहे। सतनवाड़ा पुलिस ने उनके खिलाफ धोखाधड़ी और झूठे दस्तावेज तैयार करने के आरोप में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

4 लाख में तय हुई सॉल्वर की डील

करीब एक हफ्ते पहले राजगढ़ पुलिस द्वारा आरक्षक भर्ती परीक्षा में चयनित सत्येंद्र सिंह जादौन के दस्तावेजों की जांच की गई। जांच में सामने आया कि उसकी जगह ग्वालियर निवासी सतेंद्र रावत ने सॉल्वर बनकर परीक्षा दी थी। इस फर्जीवाड़े में उसका भाई श्याम रावत भी शामिल था। बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट की जांच के दौरान यह गड़बड़ी उजागर हुई।

राजगढ़ में तीनों आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस फर्जीवाड़े के लिए 4 लाख रुपये में सौदा तय हुआ था। मुख्य आरोपी सतेंद्र उस समय श्योपुर जेल में बंद था, जिसे अब पुलिस रिमांड पर लिया गया है और उससे पूछताछ जारी है। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि उसका भाई पहले भी इसी तरह की धोखाधड़ी में संलिप्त रह चुका है।

चयन मंडल का दावा, सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक नहीं

कर्मचारी चयन मंडल के निदेशक साकेत मालवीय का कहना है कि मंडल की परीक्षा प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं पाई गई है। उन्होंने बताया कि परीक्षा उन्हीं उम्मीदवारों से ली गई जिनके आधार डेटा की पुष्टि सही पाई गई। परीक्षा केंद्र में प्रवेश के दौरान आधार कार्ड की फोटो भी मिलाई गई थी।

परीक्षा से पहले आधार डेटा की पूरी तरह से सत्यापन किया गया, जिसके बाद ही अभ्यर्थियों को परीक्षा हॉल में प्रवेश दिया गया। परीक्षा के दौरान भी बार-बार आधार डेटा की मिलान की गई और हर बार यह मेल खाता रहा। हालांकि, जॉइनिंग के समय कुछ अनियमितताएं सामने आई हैं। पुलिस विभाग ने परीक्षा के दौरान जमा किए गए उम्मीदवारों के डेटा की मांग की है, जिसे हमने उन्हें सौंप दिया है।

ऐसे लगाई गई एग्जाम परीक्षा में सेंध

  1. परीक्षा से पहले आधार कार्ड कराया अपडेट – जिन अभ्यर्थियों की जगह सॉल्वर ने परीक्षा दी, उनके आधार कार्ड में फोटो और फिंगरप्रिंट सॉल्वर के नाम अपडेट किए गए थे। हालांकि, आधार नंबर असली अभ्यर्थी का ही था, लेकिन पहचान के लिए इस्तेमाल होने वाली फोटो और बायोमेट्रिक डेटा सॉल्वर के थे।
  2. एग्जाम हॉल में फोटो और फिंगरप्रिंट की पुष्टि- सॉल्वर अपने अपडेट किए गए आधार कार्ड के साथ परीक्षा केंद्र पहुंचा। केंद्र पर आधार कार्ड की जांच करने पर फोटो सॉल्वर की ही मिली। इसके बाद फिंगरप्रिंट की पुष्टि भी उसी व्यक्ति के होने की पाई गई।
  3. परीक्षा के बाद आधार में फिर से बदलाव- परीक्षा समाप्त होने के बाद इन उम्मीदवारों ने फिर से आधार अपडेट कराया, इस बार अपनी वास्तविक फोटो और फिंगरप्रिंट आधार में दर्ज कराए। इसी आधार का उपयोग कर वे अपनी नियुक्ति के लिए भी पहुंचे।