मध्य प्रदेश में मंत्री विजय शाह के बाद अब मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा एक बार फिर अपने बयान को लेकर विवादों में घिर गए हैं। जबलपुर में आयोजित सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स के प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने भारतीय सेना को लेकर ऐसा बयान दे दिया, जिसे कई राजनीतिक और सामाजिक हलकों में आपत्तिजनक माना जा रहा है।
कार्यक्रम में हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए देवड़ा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की जमकर सराहना की, लेकिन इसी दौरान उन्होंने जो शब्द बोले, वह अब विवाद का कारण बन गए हैं।

उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने क्या कहा?
डिप्टी सीएम देवड़ा ने अपने भाषण में पहलगाम आतंकी हमले को बेहद दर्दनाक और क्रोधजनक बताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह से टूरिस्टों को धर्म पूछ-पूछ कर मारा गया और महिलाओं के सामने उनके पतियों को गोली मारी गई, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। उन्होंने आगे कहा, “जिन आतंकवादियों ने महिलाओं के सिंदूर को मिटाया, उन्हें पनाह देने वालों को तब तक खत्म नहीं कर दिया जाए, तब तक शांति नहीं मिलेगी।” इसी क्रम में उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने जो साहसी निर्णय लिए, उसके लिए पूरा देश उनके चरणों में नतमस्तक है। देश की सेना और सुरक्षा बल भी उनके चरणों में नतमस्तक हैं।”
बयान को क्यों माना जा रहा है अपमानजनक?
देवड़ा की इस टिप्पणी को लेकर विरोधियों का कहना है कि उन्होंने भारतीय सेना की स्वतंत्र भूमिका और बलिदान को कमतर कर प्रधानमंत्री की प्रशंसा में अतिशयोक्ति कर दी। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का आरोप है कि सेना जैसे गौरवशाली संस्थान को राजनीतिक महिमामंडन के लिए इस्तेमाल करना न केवल अनुचित है, बल्कि राष्ट्र की सुरक्षा भावना के खिलाफ भी है।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब बीजेपी के किसी वरिष्ठ नेता ने विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह अपने बयान को लेकर आलोचना झेल चुके हैं। अब डिप्टी सीएम देवड़ा के ताजा बयान से पार्टी को एक बार फिर विपक्ष के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस ने जहां देवड़ा से सार्वजनिक माफी की मांग की है, वहीं राज्यपाल से भी शिकायत कर उन्हें हटाने की मांग की गई है।
कई बीजेपी नेता कर रहें देवड़ा का बचाव
हालांकि बीजेपी नेताओं ने देवड़ा का बचाव करते हुए कहा है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और उनका मकसद केवल प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना करना था। लेकिन विपक्ष इसे सेना का अपमान और राजनीति में सेना के योगदान के दुरुपयोग के रूप में देख रहा है।