महाशिवरात्रि, जो भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह उत्सव के रूप में मनाई जाती है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इस दिन श्रद्धालु विशेष पूजा और व्रत रखते हैं। मध्य प्रदेश का जबलपुर शहर, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा और आरती के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित चौसठ योगिनी मंदिर इस पर्व के संदर्भ में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की विवाह प्रतिमा स्थापित है।
चौसठ योगिनी मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व
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चौसठ योगिनी मंदिर जबलपुर के भेड़ाघाट क्षेत्र में स्थित है, जो नर्मदा नदी के किनारे संगमरमर की चट्टानों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर 9वीं शताब्दी का है और शक्ति उपासना का प्रतीक माना जाता है। इसे तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र भी कहा जाता है, जहाँ प्राचीन काल में तंत्र-मंत्र की शिक्षा दी जाती थी। इस मंदिर का निर्माण कलचुरी राजाओं ने करवाया था, जो तेवर में रहते थे।

64 योगिनियों की मूर्तियाँ और मंदिर की वास्तुकला
चौसठ योगिनी मंदिर में 64 योगिनियों की मूर्तियाँ स्थापित हैं, जिनमें से वर्तमान में 61 मूर्तियाँ सुरक्षित हैं। इन योगिनियों को देवी दुर्गा के रूप में माना जाता है। मंदिर का नाम भी इन 64 मूर्तियों के कारण पड़ा। मंदिर की वास्तुकला बलुआ पत्थर और लाल पत्थरों से बनी है, जो शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है। यहाँ दो प्रवेश द्वार हैं, जिनमें से एक नर्मदा नदी के तट से और दूसरा पंचवटी घाट से जुड़ा है।
भगवान शिव और माता पार्वती की अनूठी प्रतिमा
चौसठ योगिनी मंदिर की खास बात यह है कि यहां भगवान शिव और माता पार्वती की अनोखी प्रतिमा स्थापित है, जिसमें दोनों नंदी पर एक साथ बैठे हुए हैं। यह प्रतिमा पूरी तरह से अद्वितीय है और भारत में कहीं और नहीं मिलती। इस प्रतिमा के माध्यम से यह दर्शाया जाता है कि यह स्थल शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ा हुआ है। महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
नर्मदा नदी और मंदिर का संबंध
नर्मदा नदी इस क्षेत्र की प्रमुख धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर है। मंदिर के प्रांगण से नर्मदा का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है, जो संगमरमर की चट्टानों के बीच से बहती हुई नजर आती है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने नर्मदा नदी को अपना मार्ग बदलने का आदेश दिया था, ताकि मंदिर का क्षेत्र पवित्र और समृद्ध हो सके।
महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन
महाशिवरात्रि के दिन चौसठ योगिनी मंदिर में विशेष पूजा, अभिषेक और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। श्रद्धालु यहाँ भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं और शिवलिंग का दुग्धाभिषेक करते हैं। इस दिन रात को जागरण भी किया जाता है, जिसमें भक्त शिव जी की आरती में भाग लेते हैं।