लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह अब हमारे बीच नहीं है। उनका शनिवार शाम को 89 की उम्र में निधन हो गया। बता दें कि, कल्याण सिंह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। आपको बता दें कि, कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर संघर्षपूर्ण रहा है। वहीं अपने राजनीतिक जीवन में वे कई विवादों से भी घिरे रहे।
वहीं कल्याण सिंह ने राजनीति में अपनी एक अलग छवि बनाई। हालांकि कई ऐसे लोग भी थे जिन्हे उनकी विचारधारा पसंद नहीं आती थी। लेकिन फिर भी उन्हें उनके विरोधी एक दिग्गज नेता के रूप में मानते थे। राम मंदिर आंदोलन में तो उनकी ऐसी सक्रियता रही कि उन्हें अपनी सीएम कुर्सी तक कुर्बान करनी पड़ गई थी। ऐसे में भविष्य में भी कल्याण सिंह के योगदानों को हमेशा याद रखेगा।
पूरे मामले की बात की जाए तो यह मामला 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था। इस आंदोलन के सूत्रधार कल्याण सिंह ही थे। उनकी बदौलत यह आंदोलन यूपी से निकला और देखते-देखते पूरे देश में बहुत तेजी से फैल गया। साथ ही उन्होंने हिंदुत्व की अपनी छवि जनता के सामने रखी। इसके साथ ही उन्हे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी साथ मिला जिससे आंदोलन ने और जोर पकड़ लिया। गौरतलब है कि कल्याण सिंह शुरू से आरएसएस के जुझारू कार्यकर्ता थे। इसका पूरा फायदा यूपी में भाजपा को मिला और 1991 में यूपी में भाजपा की सरकार बनी थी।
यह ऐसी घटना थी जिसने भारत की राजनीति को और लोगो को बिलकुल हिला कर रख दिया था। इसके बाद केंद्र से लेकर यूपी की सरकार की जड़ें हिल गईं थी। बता दें कि, कल्याण सिंह ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी ली और 6 दिसंबर 1992 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद उनका कद और सुदृढ़ और नामचीन हो गया।