गोविंद मालू
दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के हश्र के बाद अब यह दिन के उजाले की तरह साफ हो गया कि भाजपा सरकारें चाहे उत्तरप्रदेश की हों या मध्यप्रदेश की किसी भी अपराधी को नहीं बख्शेगी, जबकि काँग्रेस के दौरे हुकूमत में यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान में अपराधियों के पनपने की खाद उपलब्ध करवाई। काँग्रेस के भूतपूर्व और भावी अध्यक्ष राहुल गांधी की बहन प्रियंका वाड्रा से लेकर नीचे तक के चाटुकार कल तक मिलीभगत और अपराधी राजनेता गठजोड़, सुनियोजित प्रायोजित सरेंडर कह कर उपहास उड़ा रहे थे, वे इस एनकाउंटर के बाद क्या सरकार और पुलिस की सजगता और मुस्तैदी की तारीफ़ में दो शब्द कहेंगें?
जिनके हाथ मासूम और निरीह जनता से लूट, हत्या, बलात्कारी अपराधियों के कारनामों के साथ गलबहियाँ में जुड़े हों और जिन्होंने देश में न केवल राजनीति के अपराधीकरण की आधारशिला रखी हो बल्कि लोकतंत्र को गुंडों की फौज से न केवल चलाया हो, बल्कि इस काँग्रेस द्वारा ऑपरेट गुंडो की फौज ने लोकतंत्र की बहु का सुहाग बार बार उजाड़ा हो, इनकी समानांतर सरकारों को अपनी सरमायेदारी और संरक्षण में चलाया हो उन्हें ऐसे मामले में बिना सोचे समझे टीका टिप्पणी की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
“आजादी” के बाद और ख़ासकर 60 से 80 के दशक में जब काँग्रेस शासन चरम और निष्कंटक था तब डाकू निर्भयसिंह गुर्जर, माधोसिंह, मोहरसिंह, मलखानसिंह, फूलनदेवी जैसे बाग़ी पनपे, लोकमन दीक्षित लुक्का, शहाबुद्दीन, गड़रिया गिरोह , यूसुफ पटेल, हाजी मस्तान, दाऊद इब्राहिम (डी कम्पनी), जैसे लोगों की काँग्रेस न केवल पितृ पुरुष रही, बल्कि महान नेहरू और उनकी विद्वान पुत्री श्रीमती इंदिरा प्रियदर्शिनी की पुरोहिती में ये अपराधों के अड्डे और इनके सरदार और खलनायक पनपते रहे। जो बूथ लूटकर चुनाव में इन्हें काबिज कराते रहे बदले में इन्होंने इनकी समानांतर सरकारें जैसी झाबुआ में वेस्ता पटेल की चलती थी, शहाबुद्दीन की हाजी मस्तान की चलती थी वह बेख़ौफ़, ख़ौफ़ पैदा करने की खरपतवार के रूप में पनपती रही। औद्योगिकरण का तो जो कल्याण हुआ वह छुपा नहीं, लेकिन अपराधों का उद्योग जरूर सर-सब्ज हुआ।
भला हो जनता का जिसने ऐसी सरकारें चुनी जिसने चाहे गड़रिया गिरोह हो या कोई और दुर्दांत उसे नेस्तनाबूत कर दिया।जेपी ने डाकुओं का आत्मसमर्पण करवाया यह उनकी इच्छा शक्ति और देश भक्ति थी। दिग्विजय सिंह के जमाने में कुख्यात आर आर खान और महमूद खान पर किसका वरदहस्त था, क्या वे देशभक्ति की फैक्ट्री चला रहे थे जरा काँग्रेस की ये भेड़ें और कथित चाटूकार बचाव पुरोधा जवाब देंगें।
बहन प्रियंका काँग्रेस ने जो अपराधियों के विश्व प्रसिद्ध प्रोडक्ट और बाइप्रोडक्ट पैदा कर अपराध का अभिषेक कर गरीब हटाओ का नारा साकार किया उस पर आज क्या कहना है जब शरण और सरेंडर का खुलासा हो चुका है । क्या काँग्रेस राजनीति और अपराधियों के गठजोड़ का पाणिग्रहण कराने के लिए प्रायश्चित कर देश से माफ़ी माँग कर यूपी पुलिस का हौंसला बढ़ा कर शासन की इच्छा शक्ति का प्रच्छन्न भाव से खैरमक़दम करेगी या अपराधियों पर ऐसी सख्त कार्रवाई करने पर मानवाधिकार की गुहार लगा अपराधी और अपराध का अपरोक्ष समर्थन करेगी। लाल गलियारा नक्सलवाद, खालिस्तान आंदोलन औऱ मुस्लिम आतंकवाद काँग्रेस के वोट बैंक औऱ सत्ता पिपासा की ख़तरनाक खरपतवार है।