रसगुल्ले का नाम आते ही मुंह मे पानी आने लगता है और सारे गिले-शिकवे दूर हो जाते है. लेकिन अब ये रसगुल्ला 2 राज्यो के बीच कड़वाहट का विषय बन गया है. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच यही रसगुल्ला खींचातानी लेकर आया है.
ओडिशा दावा कर रहा है कि रसगुल्ला का इतिहास उसके राज्य से जुड़ा है तो वहीं पश्चिम बंगाल भी रसगुल्ले पर अपनी दावेदारी पेश कर रहा है. अब फर्क है तो बस थोड़ा सा, वो हम आपको बताते है, की बंगाल में रसगुल्ला नहीं बल्कि रोसोगुल्ला कहा जाता है.
ओडिशा सरकार ने रसगुल्ला की भौगोलिक पहचान के लिए कदम उठाते हुए दावा किया है कि मिठाई का संबंध उसी से है. जबकि पश्चिम बंगाल इस बात का विरोध करने उतर आया है. जीआई वह आधिकारिक तरीका है जो किसी वस्तु के उद्गम स्थल के बारे में बताता है. नोबिन चंद्रा के परपोते अनिमिख रॉय ने रोसोगुल्ला के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 700 साल पहले ओडिशा में इसकी खोज हुई, गलत है. बंगाल में 18वीं सदी के दौरान डच और पुर्तगाली उपनिवेशवादियों ने छैने से मिठाई बनाने का तरीका सिखाया और तब से रोसोगुल्ला का अस्तित्व मिलता है.