मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.महावीर खंडेलवाल ने बताया कि वर्षा ऋतु में मुख्य रूप से दूषित जल के उपयोग के कारण होने वाली बीमारियां ही प्रमुख रूप से देखी जाती है। दूषित जल के सेवन से टाइफाईड पीलिया, डायरिया, पैचिश एवं हैजा जैसी बीमारियां भी फैलती हैं। अतः भोजन बनाने में एवं पेयजल के रूप में शुद्ध उबला हुआ जल का उपयोग करें। कुछ भी खाने के पहले व शौच के पश्चात साबुन से अवश्य हाथ धोयें।
देश में जलजनित रोगों से सबसे अधिक यानि लगभग 80 प्रतिशत मौतें होती हैं। बारिश में यह समस्या बढ़ जाती है। पानी और अस्वच्छ आदतों से फैलने वाली बीमारियों को मौटे तौर पर दस्त/कृमि संक्रमण/त्वचा और आंखों के रोग/मच्छरों एवं मक्खियों से फैलने वाले रोग सम्मिलित हैं।
दस्त रोग
दूषित पानी के कारण प्रायः दस्त रोग फैलता है। मुख्य रूप से बच्चों में यह अधिक गंभीर रूप धारण कर सकता है। यह रोग इसलिये भी गंभीर है क्योकि शरीर में से पानी निकल जाने से बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है। दस्त रोग की रोकथाम हेतु प्रायः शुद्ध पेयजल एवं शुद्ध भोजन का उपयोग करें। सड़े-गले फल एवं खाद्य पदार्थो का उपयोग ना करें, खाना खाने से पहले एवं शौच के बाद साबुन से अवश्य हाथ धोयें, खुले शौच न करें, शौचालय का उपयोग करें। घर के आसपास साफ-सफाई रखें, दस्त लग जाने पर ओ.आर.एस. एवं जिंक सल्फेट गोली का उपयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार करें। खाने-पीने की वस्तुओं को ढंक कर रखें, मक्खियों से बचाव करें, हरी सब्जी एवं फलों को उपयोग करने के पहले साफ पानी धोकर उपयोग करें।
आंखों का रोग
मानसून के दौरान बहुत से लोगों को आंखो के रोग हो जाते हैं। आंखो में खुजली एवं आंखें लाल हो जाती है, चिपचीपी हो जाती है, सफेद और पीले रंग का पदार्थ जमा हो जाता है। इस रोग को आई फ्लू, कंजक्टिवाईटिस या आंखें आना के रूप में जाना जाता है। कंजेक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है। कम्प्युटर का की बोर्ड भी इसे फैलाने में सबसे बड़ा सहायक साबित होता है। आंखे आने पर बार-बार अपने हाथ एवं चेहरे को ठंडे पानी से धोयें, परिवार के सभी सदस्य अलग-अलग तौलिये एवं रूमाल का उपयोग करें, स्वच्छ पानी का उपयोग करें, बार-बार आंखों को हाथ न लगायें, धूप के चश्मे का प्रयोग करें, चिकित्सक को दिखायें।
मलेरिया/डेंगू रोग
बरसात में मलेरिया/डेगू रोग भी फैलता है, जिसमें मरीज को ठंड लगकर बुखार आता है। प्रायः बरसात के दिनों में जल जमा हो जाता है जो खेत, तालाब, गड्ढे, खाई, घर के आसपास रखे हुए टूटे-फूटे डब्बे, पुराने टायर, पशु के पानी पीने का होद इत्यादि। इस प्रकार के भरे हुए पानी में प्रायः मच्छर के लार्वा पैदा होते है, जो बाद में मच्छर बनकर रोग फैलाते है। मलेरिया से बचाव हेतु घर के आसपास जल जमा न होने दे। रूके हुए पानी में मिट्टी का तेल या जला हुआ ऑईल डालें। कूलर, फूलदान, फ्रिज ट्रे आदि को सप्ताह में एक बार अवश्य साफ करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। कीटनाशक का छिडकाव करवायें, मलेरिया रोग हो जाने पर खून की जांच अवश्य करायें एवं चिकित्सक की सलाह से पूर्ण उपचार लें।