स्वेतकेतु वैदिक की कलम से
संपूर्ण मालवा-निमाड़ सहित पूरे मध्य- भारत में आर्य समाज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ या भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुषों में से एक स्वर्गीय श्री जगदीश प्रसाद जी वैदिक की आज पुण्यतिथि है। वर्ष 2012 में आज ही के दिन उन्होंने अपनी देह त्यागी थी। जगदीशप्रसादजी वैदिक को जानने वाला लगभग हर व्यक्ति उन्हें आदर से ‘भैयाजी’ कहा करते थे।
भैयाजी ने समाज और सार्वजनिक कामों के लिए अपना पूरा जीवन ही लगा दिया था । सामाजिक कुरीतियां समाप्त करने की बात हो, या राजनीति में शुद्ध चरित्र वालों के सम्मान का प्रश्न हो, वे उसके पक्ष में खड़े होकर संघर्ष के लिए तैयार हो जाते थे । हालांकि वे स्वयं राष्ट्रवादी विचारों से ओतप्रोत थे। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ की अग्रणी पंक्ति के नेता थे,लेकिन इंदौर से चुनाव लड़ने वाले साम्यवादी उम्मीदवार कॉमरेड होमी दाजी का भी वे उतना ही सम्मान करते थे । एक चुनाव में उन्होंने इंदौर के छावनी क्षेत्र के सभी व्यापारियों से बात कर दाजी साहब को एक मोटरसाइकिल भेंट की थी ।
भैयाजी जीवन भर अनन्य हिंदी सेवी रहे, और उन्होंने ही अखिल भारतीय अंग्रेजी हटाओ आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन से उन्होंने ज्ञानी जैल सिंह, भैरों सिंह जी शेखावत, जॉर्ज फर्नांडिस,जनेश्वर मिश्र, शांता कुमार, बलराम जाखड़, सुंदरलाल जी पटवा और मुलायम सिंह जी को जोड़ा था।ये सभी नेता अपने जीवन पर्यंत भैयाजी के मित्र रहे। सिद्धांतों और संघर्ष के साथी स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेई भी भैयाजी को अपना मित्र मानते थे,और अपने इंदौर प्रवास में उनके साथ भोजन करना नहीं भूलते थे।
संकटों और संघर्ष से जीवन शुरू करने वाले भैया जी ने अपनी सभी संतानों को धार्मिक और सात्विक जीवन जीना सिखाया व अध्ययनशीलता के प्रति सदैव प्रेरित किया। देश के यशस्वी और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेद प्रताप जी वैदिक भैयाजी के जेष्ठ पुत्र हैं।
भारत की आजादी और भारतीयता के लिए अपना संपूर्ण बलिदान करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं के सम्मान के लिए या उनकी स्मृतियों को सुरक्षित रखने के लिए भैया जी निरंतर लगे रहते थे। उन्हीं के प्रयासों से इंदौर में स्वातंत्र्यवीर वीर सावरकर की प्रतिमा लगी है ,जहां प्रतिवर्ष सावरकर जी की जयंती मनाई जाती है । वे सावरकर स्मारक समिति के अध्यक्ष भी थे। सच बोलना, सच्चा जीवन जीना और असत्य व अन्याय के विरुद्ध बड़ी से बड़ी ताकत से भिड़ जाना भैयाजी का चरित्र जीवन भर रहा । उनसे परिचित लोग इस विषय की कई की किंवदन्तियां आज भी याद रखते हैं।
अपने समस्त सामाजिक और पारिवारिक दायित्वों की पूर्ति करने के पश्चात वे सन्यस्थ हो गए थे,और उन्होंने अपना नाम “वैदिकानंद” कर लिया था। उनकी ही आज्ञानुसार उनकी मृत्यु को परिवार और समाज ने एक उत्सव की तरह मनाया था। इन्दौर के गांधी हाल में हुए उस पावन उत्सव के ‘पुष्पांजलि समारोह’ में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान सहित कई सांसद, मंत्री व् विधायक शामिल हुए थे। यही नहीं, बाबा रामदेव सहित देश प्रदेश के कई सम्मानित संत व समाज के प्रत्येक वर्ग के वरेण्य लोग उस पुष्पांजलि उत्सव में शामिल हुए थे।