36 घंटे में भारतीय सेना ने उखाड़ फेंका था 450 सालों का पुर्तगाली शासन, जानें क्या हैं गोवा के आजादी की कहानी

Meghraj
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Goa Liberation Day : भारत के इतिहास में 19 दिसंबर 1961 का दिन एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आया, जब भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत गोवा को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त किया और उसे भारत का हिस्सा बना लिया। यह दिन आज भी ‘गोवा मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। गोवा पर पुर्तगालियों का शासन लगभग 450 सालों तक चला, लेकिन भारत की आजादी के 14 साल बाद भी गोवा पुर्तगाल के कब्जे में था। इस संघर्ष की कहानी बेहद रोमांचक और प्रेरणादायक है, जिसमें राजनयिक प्रयासों की विफलता के बाद भारतीय सेना की ताकत ने अपना काम किया।

36 घंटे में भारतीय सेना ने उखाड़ फेंका था 450 सालों का पुर्तगाली शासन

भारत ने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता हासिल की, लेकिन गोवा पर पुर्तगालियों का कब्जा अभी भी कायम था। 1947 में ब्रिटिश राज के समाप्त होने के बाद भी पुर्तगाल ने गोवा, दमन, दीव और नागर हवेली जैसे अपने उपनिवेशों को छोड़ने से इनकार कर दिया था। यह भारत के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया। भारतीय सरकार ने गोवा को अपना हिस्सा बनाने के लिए कई राजनयिक प्रयास किए, लेकिन पुर्तगालियों ने कोई सहमति नहीं दी।

भारत ने 1955 में गोवा पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ। इसके बाद भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने यह महसूस किया कि अब गोवा को मुक्त कराने के लिए सैन्य कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता है। उनका मानना था कि पुर्तगालियों का गोवा पर शासन एक ‘फुंसी’ की तरह है, जिसे हटाना जरूरी है। इस निर्णय के बाद, भारतीय सेना ने गोवा मुक्ति अभियान की तैयारी शुरू की।

पुर्तगालियों की चूक और युद्ध की शुरुआत

नवंबर 1961 में पुर्तगाली सैनिकों ने भारतीय मछुआरों पर गोलियां चला दीं, जिससे एक मछुआरे की मौत हो गई। यह घटना एक मील का पत्थर साबित हुई और भारत में गोवा को स्वतंत्र बनाने की भावना तेज हो गई। इसके बाद, प्रधानमंत्री ने एक आपात बैठक में रक्षा मंत्री केवी कृष्णा मेनन के साथ स्थिति पर विचार किया और एक कठोर निर्णय लिया। इस घटना ने भारतीय सरकार को सैन्य कार्रवाई का रास्ता दिखा दिया।

ऑपरेशन विजय

17 दिसंबर 1961 को ऑपरेशन विजय शुरू हुआ, जिसमें भारतीय सेना, वायु सेना और नौसेना के लगभग 30,000 सैनिकों को गोवा पर कब्जा करने के लिए तैनात किया गया। पुर्तगालियों ने भारतीय सेना का मुकाबला करने के लिए वास्को के पास बने पुल को उड़ा दिया, लेकिन भारतीय सेनाएं रुकी नहीं। भारतीय वायु सेना ने पुर्तगाली ठिकानों पर बमबारी की, और थल सेना भी तेजी से आगे बढ़ी।

19 दिसंबर 1961 को पुर्तगाली गवर्नर मेन्यू वासलो डे सिल्वा ने आधिकारिक रूप से समर्पण की घोषणा की। रात के करीब साढ़े आठ बजे उसने समर्पण की संधि पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही गोवा में 450 सालों से चले आ रहे पुर्तगालियों के शासन का अंत हुआ और गोवा भारत का हिस्सा बन गया। इस दिन गोवा के साथ दमन और दीव भी भारत के अंग बन गए।

गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा

30 मई 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया और यह आधिकारिक रूप से भारत का 25वां राज्य बन गया।