आदिवासी समुदाय के युवाओं और कलाकारों के लिए एक खुशखबरी है। मोदी सरकार 100 करोड़ रुपये की लागत से पूरे देश में 100 ग्रामीण हाट बाजार स्थापित करने जा रही है, जहां आदिवासी कलाकार अपनी खुद की बनाई और वन से संबंधित उत्पादों की बिक्री कर सकेंगे। मध्य प्रदेश के लिए मोहन सरकार ने 19 हाट बाजारों की मांग की है, और जनजातीय कार्य विभाग ने इसके लिए प्रस्ताव भेजा है। इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपये आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए आवंटित किए गए हैं।
2000 वर्ग मीटर में तैयार होगा बाजार
जनजातीय कार्य विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. ई. रमेश कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने केंद्र से 19 जिलों में एक-एक टीएमएमसी की मांग की है और इसके लिए प्रस्ताव भेजा गया है। प्रस्ताव के तहत, ये हाट बाजार 2000 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनाए जाएंगे, जबकि बिल्ट-अप एरिया 367.80 वर्ग मीटर होगा। प्रत्येक हाट बाजार की लागत एक-एक करोड़ रुपये आंकी गई है।
हाट बाजार बनेंगे आजीविका के नए अवसर
प्रमुख सचिव डॉ. कुमार ने बताया कि हाट बाजार के लिए बजट केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि इनका संचालन मध्य प्रदेश जनजातीय कार्य विभाग करेगा। इन बाजारों में जनजातीय समुदाय की पारंपरिक कला, संस्कृति, शिल्पकारी, चित्रकारी, खिलौने, और मिट्टी व बांस से बने उत्पादों की बिक्री होगी। यह हाट बाजार जनजातीय समुदाय के लिए आजीविका के नए साधन बनेंगे और उनकी आय का महत्वपूर्ण स्रोत बनेंगे।
प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग
स्व-निर्मित उत्पादों के प्रचार के लिए स्थानीय स्तर पर आऊटलेट्स उपलब्ध कराए जाएंगे। जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह ने बताया कि मध्य प्रदेश के 51 जिलों में 11,377 जनजातीय बहुल गांव हैं, जहां 43 जनजातीय समुदायों के 18 लाख 58 हजार परिवार निवास करते हैं। मध्य प्रदेश में जनजातीय वर्ग की कुल आबादी 93 लाख 23 हजार है। इनके कल्याण के लिए मोदी सरकार ने धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान शुरू किया है।