Uttarakhand: ग्लोबल वार्मिंग का कहर! गर्मी के कारण गायब हो गई पहाड़ पर बनी ओम की आकृति

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Uttarakhand: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित ‘ओम पर्वत’ पर ‘ओम’ आकृति का दृश्य अब विलुप्त हो गया है। यह पर्वत, जो बर्फ से ढका होता था और लाखों हिंदू भक्तों के लिए भक्ति का केंद्र था, अब बर्फ के पिघलने से पहले जैसा आकर्षक नजारा पेश नहीं कर रहा। वैश्विक तापमान में वृद्धि के कारण इस पर्वत पर बर्फ इतनी तेजी से पिघल गई है कि पर्वत की चोटियाँ खुल गई हैं और पर्वत पर छेद दिखाई देने लगे हैं, जिससे ‘ओम’ आकृति गायब हो गई है। यह बदलाव पर्यावरणविदों और भक्तों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग मानते हैं कि यह पूरी तरह प्राकृतिक कारणों से हुआ है, जबकि अन्य का कहना है कि यह मानवीय गतिविधियों के कारण हुआ है।

‘ओम पर्वत’ उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की धारचूला तहसील की व्यास घाटी में स्थित है और इसकी ऊंचाई 5,900 मीटर है। यह पर्वत कैलाश मानसरोवर की तीर्थयात्रा मार्ग पर स्थित है और भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल है। यहां ‘ओम’ के रूप में जाने जाने वाला पर्वत कई वर्षों से श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में, सर्दियों में कम बर्फबारी और तापमान में वृद्धि के कारण ग्लेशियर की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिससे पर्वत की वह ‘ओम’ आकृति अब गायब हो गई है।

घटना ने स्थानीय लोगों, श्रद्धालुओं और पर्यावरणविदों को चिंता में डाल दिया है। पर्यावरणविदों का कहना है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि और हिमालय क्षेत्र में विकास गतिविधियों के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। श्रद्धालुओं ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार से जांच की मांग की है। सरकार ने घटना की जांच शुरू कर दी है और ‘ओम’ चिह्न को पुनः बहाल करने के लिए कदम उठाने की प्रक्रिया शुरू की है।

स्थानीय लोग और श्रद्धालु उम्मीद कर रहे हैं कि नए सत्र में बर्फबारी होगी और ‘ओम’ आकृति फिर से पर्वत पर उभर कर सामने आएगी। इस बीच, पहाड़, नदियाँ, पर्यावरण, वनस्पति और ग्लेशियरों को बचाने के लिए सामूहिक कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है। इस प्रकार, ‘ओम पर्वत’ की बदलती स्थिति न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन और इसके स्थानीय प्रभावों का भी एक संकेतक है।