‘संत का आचरण और चरित्र..’, अविमुक्तेश्वरानंद के मानहानि मामले पर बोला दिल्ली HC

srashti
Published on:

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार, 13 अगस्त को ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा गोविंदानंद सरस्वती के खिलाफ दायर दीवानी मानहानि मुकदमे के संबंध में नोटिस जारी किया। अविमुक्तेश्वरानंद ने गोविंदानंद पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन्हें “नकली बाबा” करार दिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक समर्थन प्राप्त करने का भी आरोप लगाया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां:

न्यायमूर्ति नवीन चावला की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए अंतरिम निषेधाज्ञा पर नोटिस जारी किया और टिप्पणी की कि संतों को मानहानि से चिंतित नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि संतों की वास्तविक प्रतिष्ठा को विवादों से प्रभावित नहीं होना चाहिए और उनकी प्रतिष्ठा कानूनी लड़ाई के बजाय उनके आचरण और चरित्र से स्थापित की जाती है।

मुकदमे की वर्तमान स्थिति:

अदालत ने मामले की सुनवाई 29 अगस्त के लिए स्थगित कर दी है और इस चरण में कोई एकपक्षीय अंतरिम आदेश जारी नहीं किया है। इसका मतलब है कि दोनों पक्षों की बात सुने बिना कोई अस्थायी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता।

वकील की दलीलें:

अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने गोविंदानंद पर “नकली बाबा”, “धोखेबाज बाबा” और “चोर बाबा” जैसे अपमानजनक आरोप लगाए हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने आरोप लगाया कि गोविंदानंद ने उनके मुवक्किल पर गंभीर आपराधिक गतिविधियों जैसे अपहरण, हिस्ट्रीशीटर होने, अवैध संबंध बनाने और ₹7,000 करोड़ का सोना चुराने का आरोप लगाया है।

अविमुक्तेश्वरानंद के वकील ने यह भी दावा किया कि अखिलेश यादव सरकार के समय उनके खिलाफ दायर किया गया एकमात्र मामला योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली यूपी सरकार द्वारा वापस ले लिया गया था।