इन्दौर 28 जून। स्वयं का कल्याण करना हो तो मोह रखना जरूरी होता है और जगत का कल्याण करना हो तो वाणी काम आती है। पापी का सोते रहना और धर्मी का जागते रहना अच्छा होता है। सांसारिक जीवन में सफलता की प्राप्ति पुण्य से होती है और साधु जीवन में पुरुषार्थ से सफलता की प्राप्ति होती है। पद मांगने से नहीं पात्रता से मिलता है। गुरु अपने शिष्य को पात्रता के आधार पर पद प्रदान करते हैं।
उक्त विचार रेसकोर्स रोड़ स्थित श्री श्वेताम्बर जैन तपागच्छ उपाश्रय श्रीसंघ में पांच दिवसीय प्रवचनों की अमृत श्रृंखला के अंतिम दिन आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने अपने प्रवचनों में आगे कहा कि हमारे जीवन में तीन स्थितियां आती है एक हमने जो मांगा वह हमें मिला, दूसरा जो मांगा वह नहीं मिला और तीसरी होती है जो हमने कभी नहीं मांगा वह हमें मिल गया। अध्यात्म जगत में सफलता पुरुषार्थ से तथा बाह्य जगत में सफलता पुण्य की देन है। वहीं अंतिम दिन धर्मसभा में चरित्र सागर मसा ने भी प्रवचनों की अमृत वर्षा की। जिसमें उन्होंने सभी श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि जानकारी हमें भोगी बनाती है और ज्ञान हमें योगी बनाता है। हमारी आराधना तभी पूरी होती है ज़ब गुरु का आशीष प्राप्त होता है।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट एवं चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी एवं अध्यक्ष विजय मेहता ने बताया कि इसके पूर्व मुनिराज ज्ञानबोधि विजय जी मसा के छ: माह की साधना प्रारम्भ के लिए भगवती सूत्र के योग प्रवेश की क्रिया विधि संपन्न करवाई गई। मुंबई से आए जैनम वारैया, हर्षित शाह ने संगीत की प्रस्तुति दी। इसके पश्चात शक्रस्तव अभिषेक संपन्न हुआ जिसका लाभ मुंबई निवासी भावना बेन, आशीष भाई पारेख परिवार ने लिया।