इंदौर संभाग के किसानों को कृषि विभाग ने सलाह दी है कि मानसून आने और पर्याप्त वर्षा होने पर ही सोयाबीन की बोनी की जाये। किसान न्यूनतम 100 मिलीमीटर वर्षा होने पर ही बोनी करें। बोनी के पूर्व वे बीजों की अंकुरण क्षमता भी पता कर ले।
संयुक्त संचालक कृषि आलोक कुमार मीणा ने किसानों से कहा है कि वे सोयाबीन की एक ही किस्म की बोनी के स्थान पर भिन्न-भिन्न समयावधि में पकनेवाली अपने क्षेत्र के लिए अनुशंसित 2-3 किस्मों की बोनी करें। असिंचित क्षेत्रों में जहां रबी की फसल लेना संभव नहीं हो वहां सोयाबीन के साथ अरहर की अंर्तवर्तीय फसल उगाना अधिक लाभकारी है।
सिंचित क्षेत्रों में सोयाबीन के साथ मक्का, ज्वार, कपास, बाजरा आदि अंर्तवर्तीय फसलों की बोनी की जाये। जिससे रबी फसल की बोनी पर प्रभाव न पड़े। इसी प्रकार फल बागों में बीच की खाली जगह में भी सोयाबीन की खेती की जा सकती है। किसानों से कहा गया है कि वे बीज की गुणवत्ता तथा अंकुरण क्षमता का परीक्षण कर लेंवे।
न्यूनतम 75 प्रतिशत अंकुरण पाये जाने पर ही बोनी की जाये। कृषकों को सलाह दी गई है कि सोयाबीन की बोनी हेतु अनुशंसित 45 सेंटीमीटर कतारों की दूरी का अनुपालन करें। साथ ही बीज को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोनी करते हुए पौधे से पौधे की दूरी 5-10 सेंटीमीटर रखें। सोयाबीन की बीज दर 60-70 किलोग्राम की दर से उपयोग करें। किसानों से कहा गया है कि वे अनुशंसित मात्रा में ही खाद का उपयोग करें।