पानी अगर अपनी मर्यादा तोड़ता है तो नाश का कारण बनता और अगर मालिक अपनी मर्यादा तोड़ता है तो सर्वनाश का कारण बनता है। इसी तरह अगर हम चाहते हैं कि जीवन में कभी भी दु:ख का सामना ना करना पड़े तो हमें रहने, कहने और सहने के नियम का पालन करना होगा। इस संसार में हम एक मेहमान की तरह आए हैं तो हमें मेहमान की तरह नियमों का पालना करना होगा तभी हम सुखी रह पाएंगे। उक्त विचार बुधवार को तिलक नगर स्थित तिलकेश्वर पाश्र्वनाथ श्वेताम्बर जैन मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय प्रवचन श्रृंखला के प्रथम दिन आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीरश्वरजी मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने प्रवचन के दौरान महाभारत प्रसंग का जिक्र कर कहा कि कहां, क्या, क्यों, कैसे व किस ढंग से बोलना है इसका हमने ध्यान रख लिया तो जीवन में कभी दुखी नहीं रहेंगे। हमें हमेशा हमारी वाणी से तोल, मोल के बोलना चाहिए।
श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि इसके पूर्व प्रात 5 बजे आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी देवेंद्र नगर से अपने श्रीसंघ के साथ विहार करते हुए तिलक नगर पहुंचे। आचार्यश्री के विहार के साथ नवग्रह शांति मंदिर ट्रस्ट के सुजान चौपड़ा, अरविन्द चौरडिया, हंसमुख पोरवाल, विशाल कोठारी सहित अन्य जैन समाज बंधु साथ थे। तिलक नगर में जैसे ही आचार्यश्री का मंगल प्रवेश हुआ तो ट्रस्ट मंडल की ओर से देवेंद्र जवेरी, दिलीप शाह, वीरेंद्र बम, मुकेश पोरवाल, कैलाश सालेचा ने आचार्यश्री की ससंघ अगवानी की। वहीं प्रवचनों के पश्चात डोशी परिवार का श्रीसंघ की ओर से बहुमान भी किया गया।
चातुर्मास समिति संयोजक कल्पक गांधी ने बताया कि तिलक नगर श्रीसंघ में पांच दिवसीय प्रवचनों की अमृत श्रृंखला 5 से 9 जून तक आयोजित की जाएगी। जिसमें आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा सभी श्रावक-श्राविकाओं को संबोधित करेंगे। वहीं इसी के साथ 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।