Indore News : तनाव और चिंता से भरे जीवन में कई सारी समस्याओं ने व्यक्ति को घेर लिया है। लोगों में हाइपरटेंशन की परेशानी बहुत ही सामान्य हो गई है। यह समस्या इतनी गंभीर है कि इसे साइलेंट किलर भी कहा जाता है। हाइपरटेंशन से जुड़ा एक चिंता का विषय यह भी है कि व्यापक रूप से फैले होने के बाद भी लोगों को इसकी जानकारी बहुत कम है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में लगभग 33 प्रतिशत शहरी और 25 प्रतिशत ग्रामीण आबादी को हाई ब्लड प्रेशर (हाई बीपी) का जोखिम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो भारत में हाइपरटेंशन से पीड़ित लोगों में केवल 12 प्रतिशत लोगों का हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रण में रहता है। हाइपरटेंशन के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के रूप में मनाया जाता है। इस साल की हाइपरटेंशन डे की थीम ‘अपने ब्लड प्रेशर को सटीकता से मापें, इसे नियंत्रित करें, और लम्बा जीवन जिएँ’ है। जिसका उद्देश्य बीपी की जांच के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना है।
मेदांता सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल के हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ.संदीप श्रीवास्तव के अनुसार, “आज के आधुनिक युग मे हर कोई चिंता एवं तनाव से ग्रस्त है। इस बड़े हुए तनाव ने हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याओं को जन्म दिया है। पहले यह बीमारी बुज़ुर्गो में पाई जाती थी लेकिन अब यह युवाओं और बच्चों को भी होने लगी है। ब्लड प्रेशर में अचानक बढ़ोतरी और धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ना हायपरटेंशन कहलाता है। अगर यह समस्या गंभीर हो जाए तो ह्रदय रोग, ब्रेन स्ट्रोक एवं हार्ट फेलियर जैसी स्थिति बन सकती है इसलिए इसके बारे में अधिक से अधिक जानकारी होना बेहद आवश्यक है।
एक सामान्य व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 120/ 80 होता है, यदि व्यक्ति का बीपी इससे अधिक हो जाए तो इसे हाई बीपी की श्रेणी में रखा जाता है। हाइपरटेंशन का मुख्य कारण लाइफस्टाइल से जुड़ी आदतें होती हैं, जिसके कारण और भी कई बीमारियां भी हो सकती हैं। अगर हाई ब्लड प्रेशर जाने के बाद दवाइयां खानी पड़े उससे बेहतर हैं कि इस बीमारी से बचने के लिए हम एहतियात बरतें। समय पर भोजन ना लेना, लंबे समय तक स्क्रीन का प्रयोग करना और व्यायाम ना करना-इन सब आधुनिक जीवनशैली के कारण हाई ब्लड प्रेशर का खतरा बढ़ जाता है।
इनके अलावा अनुवांशिकता ,मोटापा और बढती उम्र भी कुछ कारण हैं जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनते हैं। हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी जिसमें कोई खास लक्षण नहीं दिखते इसलिए इसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, लेकिन यह जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए इसे साइलेंट किलर के रूप में जाना जाता है। सिर में दर्द, छाती में दर्द, चक्कर आना, सांस लेने में परेशानी, असामान्य हृदय गति, जी मिचलना, उलझन महसूस होना, नकसीर फूटना जैसे लक्षण हाइपरटेंशन के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे कोई भी लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ब्लड प्रेशर से सुरक्षित रहने के उपायों के बारे में डॉ. श्रीवास्तव कहते हैं, “ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने के लिए जीवनशैली में बदलाव करना बेहद आवश्यक है। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें सिगरेट में निकोटिन कोशिकाओं को संकुचित कर देता है। ज़्यादा मात्रा में शराब का सेवन भी आपको हाइपरटेंशन का शिकार बना सकता है। नमक की अधिकता रक्तचाप को बढ़ा सकती है इसलिए नमक का सेवन सीमित करें सोडियम से उचित दूरी बना कर रखें। प्रोसेस्ड फूड्स में मौजूद अतिरिक्त चीनी, सोडियम और वसा की मात्रा आपके लिए हानिकारक हो सकती है। ताजे फल व सब्जी को अपने आहार में शामिल करें इनमें पोटेशियम की पर्याप्त मात्रा होती है, जो हाई ब्लड प्रेशर से बचाए रखने में सहायक है। इसके अलावा तनाव को कम करें, ब्लड प्रेशर की जांच करते रहें, मन को शांत रखने की कोशिश करें एवं नियमित रूप से एक्सरसाइज, योग करें।”
वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने 2005 में की थी शुरुआत
वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे मनाने की शुरुआत वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग ने की थी। साल 2005 में वर्ल्ड हाइपरटेंशन लीग की स्थापना हुई और 14 मई 2005 को पहली बार विश्व हाई ब्लड प्रेशर दिवस मनाया गया था। लेकिन वर्ष 2006 में इसकी तिथि 17 मई निर्धारित की गई। तब से हर साल 17 मई के दिन को वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच हाइपरटेंशन के जोखिम और इसकी रोकथाम को लेकर जागरूकता फैलाना है, ताकि भविष्य में इस समस्या और इसके कारण होने वाली अन्य समस्याओं से बचा जा सके।