चुनाव आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारियों ने हर लोकसभा सीट के लिए वस्तुओं के दाम तय कर दिए हैं। ये दाम सभी लोकसभा सीटों पर बाजार दर के मुताबिक तय किए गए हैं। इस हिसाब से देखें तो शहरी सीट से चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का चुनाव खर्च, ग्रामीण ग्रामीण इलाकों की लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों से 25 से 30 फीसदी ज्यादा होगा। जबकि दोनों के खर्च की सीमा एक जैसी है। जिला निर्वाचन अधिकारियों द्वारा जारी वस्तुओं के दामों की तुलना की तो पाया कि चाय, खाना, नाश्ता, गाड़ियों के इस्तेमाल पर शहरी और ग्रामीणों इलाकों में अलग-अलग दरें तय की गई हैं। इन दरों के हिसाब से ही प्रत्याशी चुनाव में खर्च कर सकेंगे।
चुनावी थाली इंदौर में 80 रूपये तो, भोपाल में 100 रूपये
भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर इन चार बड़े शहरों से लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों का खर्च अलग-अलग वस्तुओं के लिए अलग-अलग होगा।
भोपाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए सामान्य थाली की दर 100 रुपए तय की है। जबकि, इंदौर में 80 जबलपुर में 77 रुपए तो ग्वालियर में ये 40 रुपए है। भोपाल के प्रत्याशी यदि स्पेशल लंच पैकेट पर खर्च करते हैं तो 180 रुपए उनके खर्च में जुड़ेंगे। वहीं इंदौर में 150 रुपए ग्वालियर में 80 रुपए तो जबलपुर में वीआईपी थाली के 97 रुपए तय किए गए हैं।
चुनाव में प्रचार करने वाली गाड़ियों के खर्चे गाड़ियों के अनुसार अलग अलग
इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर इन चारों बड़े शहरों में गाड़ियों के इस्तेमाल के लिए अलग-अलग दरें तय की है। इन दरों के मुताबिक भोपाल और इंदौर के प्रत्याशियों का चुनाव खर्च ज्यादा रहेगा तो जबलपुर और ग्वालियर में ये खर्च कम रहेगा। प्रत्याशी बोलेरो गाड़ी से से प्रचार करते हैं तो उसके लिए 1250 रुपए, स्कॉर्पियो के 1500 और इनोवा के लिए 2000 रुपए प्रतिदिन खर्च में जुड़ेगा। शहरों की तुलना में यहां गाड़ियों से प्रचार करने पर 500 रुपए कम जुड़ेगा। यहां वीआईपी कुर्सी 5.50 रुपए तो वीआईपी सोफा सेट के लिए 165 रुपए दर तय की गई है।
दूध और चाय 10 रूपये तो नमकीन 240 रूपये
रतलाम में दूध और कॉफी जैसे आइटम के लिए महज 10 रुपए दर तय की गई है। वहीं नमकीन पर प्रति किलो 240 रुपए खर्च में जुड़ेंगे। साग पूड़ी के लिए रतलाम में प्रति प्लेट 50 रुपए की दर तय की गई है। तो चाय का रेट 7 रुपए है। रतलाम में एसी का इस्तेमाल करने पर 5 हजार रुपए प्रतिदिन खर्च में जुड़ेगा।
वस्तुओं की कीमतें तय होती है महंगाई के अनुसार
भारत निर्वाचन आयोग राज्य की आबादी और मतदाता की संख्या के हिसाब से हर स्टेट के लिए चुनाव खर्च की सीमा तय करता है। इसके लिए महंगाई दर को भी आधार बनाया जाता है। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी के खर्च की सीमा 30 लाख रुपए थी। इस सीमा को बढ़ाने के लिए 2020 में आयोग ने एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी की रिपोर्ट पर खर्च की सीमा 70 लाख रुपए से बढ़ाकर 95 लाख रुपए की गई। पिछले सालों की तुलना में इस साल महंगाई दर कितनी बढ़ी है इसे भी आधार बनाया गया।
वस्तुओं के दाम तय करने का अधिकार राज्यों को दिया जाता है। नामांकन दाखिल करते ही प्रत्याशी को चुनाव खर्च का हिसाब देना होता है। इसके लिए हर प्रत्याशी को व्यय रजिस्टर और रेट लिस्ट दी जाती है।