Biryani vs Pulao: शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसे खाना पसंद नहीं होता। दुनियाभर में खाने-पीने की कई सारी चीजें मार्केट में उपलब्ध होती है और ये चीजें आसानी से मिल जाती है। जिन्हें खाकर मन को तसल्ली मिल जाती है। खानपान के मामले भारत देश अलग लग प्रकार की इंडियन डिशेज़ बनाई जाती है जिनका कोई मुकाबला नहीं। हर एक राज्य और शहर अपना एक अलग व्यंजन और स्वाद होता है, जिसका स्वाद लेने के लिए लोग दूर दूर से आते है। यहां की विविधता सिर्फ पहनावे और बोली में ही नहीं, बल्कि यहां स्वादिष्ट खाने में भी नजर आता है।
परंपराओं और संस्कृति के मामले में मशहूर भारत अपने खानपान और लजीज स्वाद के लिए देशभर में जाना जाता है। शायद ही कोई ऐसा कोई इंसान हो जिसे बिरयानी या पुलाव खाना पसंद न हो। लोग बिरयानी या पुलाव दोनों को शौक से खाना पसंद करते है। भारत में हर एक डिसेज का अपना एक अलग ही विशेष महत्व होता है। चलिए जानते है बिरयानी और पुलाव की रोचक कहानी के बारे में –
पुलाव का इतिहास
पुलाव के इतिहास के बात करें तो मध्य पूर्व के देशों से दुनिया के अन्य हिस्सों में आया था। सबसे पहले इसका उल्लेख ईरानी विद्वान अविसेना की किताबों में मिलता है। इसकी खास वजह है कि इसका श्रेय ईरान को दिया जाता है। पुलाव का इतिहास बिरयानी के इतिहास से भी पुरान है। यह संस्कृत के साहित्य से भी जुड़ी हुई है। याज्ञवलक्य स्मृति में इस प्रकार के व्यंजन का उल्लेख मिला है। इतना ही नहीं, बल्कि छठी सदी के तमिल साहित्य में भी पुलाव जैसे एक व्यंजन का जिक्र किया गया है।
कैसे हुई बिरयानी की शुरुआत
बिरयानी को तुर्क-मंगोल शासक तैमूर सन 1398 में भारत में लेकर आया था, जब उसने देश पर अपना कब्जा कर लिया था। माना जाता है कि तैमूर के सैनिकों चावल, मसालों और मांस को उसने एक गड्ढे में डबा दिया। फिर सैनिकों को भोजन कराने के लिए गड्ढे से निकालकर यही परोसा, तब से ही बिरयानी की शुरुवात हुई। इसके पीछे और भी एक कहानी छिपी है। कहा जाता है कि बेगम मुमताज ने महल में मुगल सेना की बैठक में गई तो बेगम ने देखा कि लोग भूख से तड़प रहे है तब उन्होंने मसालों, मांस और चावल के एक व्यंजन बनाया। इसे भी बिरयानी का नाम दिया गया।