होली रंगों का त्यौहार है। ये देश ही नहीं विदेशों में भी मनाई जाती है। लेकिन भारत में इसका सबसे ज्यादा क्रेज़ देखा जाता है। रंगोत्सव हर जगह अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। बता दे, उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के ऊसराहार इलाके के एक गांव मे बिच्छुओं के साथ खेलने की परंपरा है। ये परंपरा बहुत साल पुरानी है। ये हैरतअंगेज पंरपरा सौंधना गांव में आज भी जिंदा है।
बता दे, ऊसराहार क्षेत्र के सोंथना गांव में होली की पूर्णिमा के अगले दिन जब ढोलक की थाप के साथ गायन होता है तो प्राचीन मंदिर के अवशेषों से सैंकड़ों की संख्या में बिच्छू निकलते हैं। चौकाने वाली बात ये है कि गांव के छोटे बच्चे भी इन्हें हथेलियों पर लेकर नाचते हैं।
साथ ही इस दिन बिच्छू भी अपना जहरीला स्वभाव छोड़कर अबीर गुलाल संग होली खेलते हैं। फाग गायन के समय में जब ढोलक की थाप लगती है तो पत्थरों के नीचे से सैंकड़ों की संख्या में बिच्छू निकल आते हैं, लेकिन इस दिन पर कोई इनसे डरता नहीं, बल्कि हाथों में लेकर अबीर गुलाल खेलते हैं। इस बारे में गांव के कृष्ण प्रताप भदौरिया कहते हैं कि यह सैंकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है।